Power Factor In Hindi
Power Factor in Hindi के इस आर्टिकल में पावर फैक्टर के बारेमे विस्तृत में वर्णन करने की कोशिश की हे। जिसमे Power factor Definition, Power Factor Formula, Leading Power Factor, Lagging power Factor, Unity power Factor, पावर फैक्टर के लाभ, improvement और APFC Panel जैसे विषय शामिल हे। इसके अतिरिक्त भी कोई सवाल हे तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हो।
What is power Factor:-
Power Factor,शक्ति गुणांक ये इलेक्ट्रिकल का बहुत इम्पोर्टेन्ट पैरामीटर हे। जिसको Maintain करके इक्विपमेंट्स और इलेक्ट्रिसिटी से मैक्सिमम आउटपूत ले सकते हे।
मेने ये अक्षर देखा हे पावर फैक्टर कम हे तो उसको इम्प्रूव करने के लिए सीधे कपैसिटर की तरफ ध्यान जाता हे, और उसे स्टार्ट करके सुधार दिया जाता हे।
पर सही माने तो पावर फैक्टर को गहराई से समज ने वाले बहुत कम हे। let’s go….हम उसे आसान तरीके के से समज ने की कोशिश करते हे।
Power Factor Definition and Formula
इलेक्ट्रिक AC सर्किट के पावर फैक्टर (Cos θ) को पैरामीटर के आधार पे निम्नलिखित तीन तरीके से परिभाषित किया जाता है।
1-वोल्टेज और एम्पेयर के एंगल के आधार पर
2-रेजिस्टेंस और इम्पीडेन्स के अनुपात के आधार पर
3-वास्तविक और आभासी पावर के अनुपात के आधार पर
1-वोल्टेज और एम्पेयर के एंगल के आधार पर
1- Power Factor Definition :-
- – पावर फैक्टर- Cos θ -: AC इलेक्ट्रिक सर्किट में वोल्टेज और एम्पेयर के बिच में जो एंगल बनता हे उस एंगल को Cos θ याने पावर फैक्टर कहते हे।
1-A Power Factor Formula:-
Formula -Cos θ=P/VI
यहाँ सर्किट में
पावर फैक्टर = Cos θ, P = पावर, वोल्टेज = V, एम्पेयर = I
2 – रेजिस्टेंस और इम्पीडेन्स के अनुपात के आधार पर
2- Power Factor Definition :-
- – AC सर्किट में Resistance और Impedance के बिच का अनुपात को पावर फैक्टर के रूप में जाना जाता हे।
2A- Power Factor Formula :-
Formula – Cos θ= R/Z
पावर फैक्टर = Cos θ
प्रतिरोध = R Ohms (Ω)
इम्पिडेन्स = Z AC सर्किट माँ इंडक्टिव रिअक्टैंस -XL, कपैसिटिव रिअक्टैंस – XC और प्रतिरोध -R Ohms (Ω) को इम्पिडेन्स कहते हे।
3 – वास्तविक और आभासी पावर के अनुपात के आधार पर
3- Power Factor Definition:-
- – AC इलेक्ट्रिक सर्किट में लोड द्रारा लिए गए वास्तविक शक्ति (Real power) तथा आभासी शक्ति (Apparent power) के अनुपात को शक्ति गुणांक (Power factor) कहते हैं।
शक्ति गुणांक = वास्तविक शक्ति/आभासी शक्ति
3A- Power Factor Formula :-
Formula – Cos θ = KW/KVA
Power factor = Cos θ
True power =kw
Apparent power =kva
पावर फैक्टर की वैल्यू के आधार पे तीन तरीके से परिभाषित किया जाता है।
(1) Lagging power factor – लेग्गिंग पावर फैक्टर
(2) Unity power factor – यूनिटी पावर फैक्टर
(3) Leading power factor – लीडिंग पावर फैक्टर
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(1) Lagging Power Factor – लेग्गिंग पावर फैक्टर :-
निचे दिए गए आकृति में हम देख सकते हे जिसमे एम्पेयर की और वोल्टेज के बिच में 45′ का एंगल बन रहा हे। जिसमे एम्पेयर वोल्टेज से पीछे हे। इसीलिए,इसे लेग्गिंग पावर फैक्टर कहा जाता हे। और Cosθ 45′ की वैल्यू 0.7 हे। इसीलिए, इसे 0.7 लेग्गिंग Power Factor कह सकते हे।
(2) Unity Power Factor – यूनिटी पावर फैक्टर :-
नीच दिए गए आकृति में हम देख सकते हे की यहाँ वोल्टेज और एम्पेयर एक साथ चल रहा हे। जिसमे कोई एंगल नहीं हे। दोनो एक साथ जीरो हो रहे हे। और Cosθ जीरो की वैल्यू 1 होती हे। इसीलिए, इसे यूनिटी Power Factor कहा जाता हे। जो निश्चित रूप से इलेक्ट्रिकल सर्किट में सबसे अच्छा हे।
(3)Leading Power Factor – लीडिंग पावर फैक्टर :-
नीच दिए गए आकृति में हम देख सकते हे की वहा पे भी वोल्टेज और एम्पेयर के बिच में 45′ का एंगल बना हुआ हे यहाँ एम्पेयर वोल्टेज से आगे हे इसीलिए, उसे लीडिंग पावर फैक्टर कहते हे। और Cosθ 45′ की वैल्यू 0.7 हे। इसीलिए, इसे 0.7 लीडिंग पावर फैक्टर कह सकते हे।
याद रखे -: पावर फैक्टर की वैल्यू हमेशा 0 और 1 के बिच में ही रहता हे। उसका मूल्य कभी भी एक से ज्यादा नहीं हो सकता।
पावर फैक्टर किन बाबतो पे आधार रखता हे ?
पावर फैक्टर इलेक्ट्रिकल सर्किट में रहने वाले लोड पे आधार रखता हे। जिस में तीन टाइप के लोड रहते हे। एक रेसिस्टिव दूसरा इंडक्टिव और तीसरा कपैसिटिव।
(1) Resistive load– प्रतिरोधक भार :-
रेसिस्टिव लोड इलेक्ट्रिकल सर्किट में जो एलिमेंट हीटिंग होती हे। जैसे की ओवन,टोस्टर, incandescent लैंप,स्पेस हीटर,वाटर हीटर,टी और कोफ़ी मेकर जैसे इक्विपमेंट्स आते हे।
रेसिस्टिव लोड में पावर फैक्टर यूनिटी के नजदीक ही रहता हे। दूसरे शब्दों में कहे तो रेसिस्टिव लोड में वोल्टेज और एम्पेयर के बीच मे एंगल नहीं रेहता या तो बहुत काम रहता हे।
(2) Inductive Load – आगमनात्मक भार :-
इंडक्टिव लोड में रोटेटिंग मशीन जैसे की इलेक्ट्रिक मोटर्स,फैन,वैक्यूम क्लीनर,डिशवाशर, वाशिंगमशीन,कम्प्रेसर,रेफ्रीजरेटर और एयर कंडीशनर जैसे इक्विपमेंट्स के लोड शामिल हे।
इंडक्टिव लोड में कर्रेंट हमेशा वोल्टेज से पीछे रहता हे। इसीलिए,सर्किट का पावर फैक्टर लेग्गिंग रहता हे।
(3) Capacitive Load– कपैसिटिव लोड :-
वैसे कपैसिटिव लोड एक इक्विपमेंट्स के रूप में मौजूद नहीं हे। किसी भी उपकरण को कैपेसिटिव के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है। जिस तरह से लाइटबल्ब्स को रेसिस्टिव के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। और एयर कंडीशनर को इंडक्टिव लोड कहा जाता है।
सिस्टम के समग्र “पावर फैक्टर” को बेहतर बनाने के लिए उन्हें अक्सर विद्युत सबस्टेशनों में कपैसिटर के रूप में शामिल किया जाता है। जो समग्र सिस्टम का पावर फैक्टर इम्प्रूव करने में काम आता हे।
Disadvantage of law Power Factor in Hindi- कम पावर फैक्टर के नुकशान
1– Power Factor कम होने के कारण एम्पेयर याने लोड बढ़ जाता हे।
2- एम्पेयर बढ़ने से टेम्प्रेचर बढ़ता हे और इलेक्ट्रिकल लोसिस भी बढ़ता हे।
3- यदि हमेंने यूनिटी पावर फैक्टर समज के पावर केबल कनेक्ट किया हे और पावर फैक्टर कम रेहता हे तो एम्पेयर बढ़ने के कारण केबल ओवर हीट हो सकता हे।
4- लोड बढ़ने से केबल की साइज बढ़ानी पड सकती हे। याने 4sq.mm की जगह 6sq.mm और 6 की जगह 10sq.mm लगाना पड सकता हे।
5- ज्यादातर स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में कम पावर फैक्टर के लिए पेनेल्टी रहती हे। और यूनिटी(अच्छा)पावर फैक्टर को रिबेट दिया जाता हे। तो हम बिजली के बिल भी कम कर सकते हे।
6- उपकरण की कार्यक्षमता कम होती हे। और उसकी आयु भी कम हो जाती हे।
7- इलेक्ट्रिकल उपकरण जैसे जनरेटर, ट्रांसफार्मर जिसकी रेटिंग KVA में हे उसको जरुरत से ज्यादा बड़ी कैपेसिटी का खरीदना पड सकता हे।
8- लाइन में पावर फैक्टर कम होने से लोड बढ़ता हे, और वोल्टेज ड्रोप भी बढ़ जाता हे। जिसका सभी इक्विपमेंट्स में असर पड़ता हे।
घर का पावर फैक्टर कैसे इम्प्रूव करे – How to Improve PF at home
हमारे घरमे उपयोग होने वाले उपकरण ज्यादातर पावर फैक्टर अच्छा होता है। जैसे की इलेक्ट्रिक हीटर, ओवन, इलेक्ट्रिक सगड़ी ये सब रेसिस्टिव लोड होने के कारण घर का pf ठीक रहता है। पर AC, फ्रीज़,फैन के पावर फैक्टर कम होता है।
घर का पावर फैक्टर के लिए हमें एनर्जी सेवर (Energy Saver)का उपयोग करना चाहिए। एनर्जी सेवर बाजार में अलग अलग कंपनी के उपलब्ध है। इससे पावर फैक्टर तो इम्प्रूव होता है साथ में बिजली का बिल भी कम होता है।
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पावर फैक्टर को कैसे निकला जाता है ? Power Factor Calculation
पावर फैक्टर की गिनती कैसे होती है ? कितना पावर फैक्टर हमारी सर्किट में है, इसे कैसे निकलते है ? ये हम यहाँ एक उदाहरण से समझते है ।
पावर फैक्टर निकल ने के लिए हमें हमरे एनर्जी मीटर में से KWH और KVAH का रीडिंग लेना पड़ेगा। इसमें KWH ये रियल पावर है । और KVAH आभासी पावर है।
समजलो हमें 24 ऑवर का पावर फैक्टर चेक करना है। इसमें हमें दो दिन तक एक ही समय पे KWH और KVAH का रीडिंग लेना पड़ेगा ।
यहाँ हम एक उदाहरण से समझते है
पहले दिन का रीडिंग KWH- 550 , KVAH-600
दूसरे दिन का रीडिंग KWH- 950 , KVAH – 1020
पहले दिन का रीडिंग को दूसरे दिन के रीडिंग से माइनस करते है।
550- 950= 400 KWH
600- 1020 = 420 KVAH
PF= KWH/KVAH
400/420 = 0.952 ये 24 घण्टे का पावर फैक्टर होता है।
सबसे ज्यादा पावर फैक्टर 1 क्यों होता है ?
पावर फैक्टर 1 से ज्यादा नहीं हो सकता। पावर फैक्टर ये वोल्टेज और करंट के बिच का एंगल है। ये वास्तविक शक्ति और आभासी शक्ति के भींच का गुणोत्तर है। आभाषी शक्ति कभी रियल शक्ति से ज्यादा नहीं हो सकती।
सिंपल तरीके से समजे तो हमारे पास 100% ताकत है । हम 100% से ज्यादा छह कर भी नहीं दे सकते। कोई भी उपकरण अपनी क्षमता से ज्यादा आउटपुट नहीं दे सकता। पावर फैक्टर में वोल्टेज और करंट का एंगल है। जो 1 से ऊपर नहीं जा सकता ।
Why Power Factor is important- पावर फैक्टर क्यों महत्व का है ?
किसी भी मशीन का अच्छा आउटपुट लेने के लिए हमें पावर फैक्टर को मैटैं करना पड़ता है। कम पावर फैक्टर एक तरह से बिजली का लोसिस है।
साथ में कम पावर फैक्टर के कारण मशीन हीट होना, केबल हीट होना, ये नुकशान कारक है। इलेक्ट्रिसिटी के नियम के अनुशार I2R के मुताबिक ज्यादा हीट होगी तो रेजिस्टेंस ज्यादा बढ़ेगा और रेजिस्टेंस बढ़ेगा तो बिजली का बिल बढ़ेगा।
एक तरह से इलेक्ट्रिसिटी का सेविंग करने के लिए, पैसो की बचत करने के लिए हमें पावर फैक्टर को मैटैं करना चाहिए।
How to Improve Power Factor – पावर फैक्टर में सुधर कैसे करे ?
इलेक्ट्रिकल फैल में पावर फैक्टर का बहुत महत्व है। बिजली देने वाली कंपनी भी यही चाहती है की, कस्टमर पावर फैक्टर को मेन्टेन करे। इससे कस्टमर का भी फायदा होता है। और बिजली कंपनी को भी लाभ होता है।
कही राज्यों में तो 0.95 से ज्यादा पावर फैक्टर मेन्टेन करने वालो को रिबेट दिया जाता है। और 0.95 से कम पावर फैक्टर वालो को पेनल्टी भरनी पड़ती है।
बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज में कोनसा लोड कब चालू होगा ये त्यय नहीं होता। ऐसे में वह पावर फैक्टर इम्प्रूव की सिस्टम लगाना जरुरी है।
मुख्या तीन तरीके से हम पावर फैक्टर को इम्प्रूव कर सकते है।
1- सिंक्रोनोस मोटर का उपयोग करने पावर फैक्टर में सुधार कर सकते है।
2- फेज अडवांसर का उपयोग करके पावर फैक्टर में सुधार कर सकते है ।
3- कपैसिटर बैंक का उपयोग करके पावर फैक्टर में सुधार कर सकते है ।
1- सिंक्रोनोस मोटर से पावर फैक्टर में सुधार – PF Improvement by Synchronous Motor
सिंक्रोनोस मोटर एक तरह से सिंक्रोनोस कंडेंशर का काम करती है। यहाँ सिंक्रोनोस मोटर को बिना लोड के चलाया जाता है। जब बिना लोड के सिंक्रोनोस मोटर चलती है तो ओवर एक्साइटेड होती है। जब सिंक्रोनोस मोटर ओवर एक्साइटेड स्थिति में होती है तब एक कंडेंशर का काम करती है।
सिंक्रोनोस मोटर ओवर और अंडर एक्सीटेशन में लीडिंग और लग्गिंग पावर फैक्टर रहता है। ओवर एकिटशन में लीडिंग और अंडर एक्सीटेशन लग्गिंग पावर फैक्टर होता है।
मोटर ओवर एक्साइटेशन की स्थिति में एक कंडेंसर की तरह काम करती है। और पावर फैक्टर को इम्प्रूव करता है।
इस प्रकार के पावर फैक्टर इम्प्रोवेर में मोटर एक घूमता हुआ मशीन है। इसीलिए इसमें आवाज होता है और इसका मेंटेनन्स भी ज्यादा होता है।
2 – फेज अडवांसर से पावर फैक्टर में सुधार – PF Improvement by Phase Advancer
फेज अडवांसर का उपयोग इंडक्शन मोटर में होता है। इंडक्शन मोटर इंडक्टिव लोड होने के कारण इसका पावर फैक्टर कम रहता है।
इंडक्शन मोटर का स्टेटर ज्यादा फ्लक्स इन्दुस करने के लिए ज्यादा एक्सिटिंग करंट लेती है। इसी के कारण करंट वोल्टेज से पीछे हो जाता है। और पावर फैक्टर लॉ हो जाता है।
फेज अडवांसर में इंडक्शन मोटर के स्टेटर को Exiting करंट बहार से दिया जाता है। जिसकी बजह से करंट लेग नहीं करता और पावर फैक्टर इम्प्रूव होता है।
फेज एडवांस एक तरह का एक Exiter है । जो इंडक्शन मोटर की शाफ़्ट पे लगाया जाता है। वहां से स्लिपरिंग के द्वारा एक्साइटेशन करंट स्टेटर को दिया जाता है। और पावर फैक्टर को इम्प्रूव किया जाता है।
इस प्रकार के pf इम्प्रोवेर का इस्तेमाल कम होता है। क्युकी ये पर्टिकुलर एक मोटर का पावर फैक्टर को इम्प्रूव कर सकता है। इंडस्ट्रीज में बहुत ज्यादा मोटर्स होती है। हर मोटर में ये लगाना संभव नहीं है और ज्यादा खर्चीला भी है।
3 – कपैसिटर बैंक का उपयोग करके पावर फैक्टर में सुधार – PF Improvement by Static Capacitor
पावर फैक्टर इम्प्रूवमेंट के लिए इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली यह सिस्टम है। कपैसिटर को लोड के पेरेलल में कनेक्ट किया जाता है। और ये डेल्टा कनेक्शन में होता है। कपैसिटर का आउट पूत स्टार कनेक्शन की जगह डेल्टा कनेक्शन में ज्यादा होता है।
कपैसिटर ये इलेक्ट्रिक कंडक्टर से बनाये जाते है। बीचमे नोंकंडक्टर का लेयर होता है। इसे एक बार लगाने के बाद 5 से 10 साल तक चलता। ये इसकी क्वालिटी पे आधार रखता है। कपैसिटर नार्मल ड्यूटी और हैवी ड्यूटी में मिलता है। अल्लुमिनियम और कॉपर में मिलता है। हमें हमरी जरूरियात की हिसाब से लेना चाहिए।
आमतौर पर इसकी एक पैनल बनायीं जाती है। इसे लगाना बहुत आसान है। इसमें कोई घूमता हुआ पार्ट्स भी नहीं है। इसीलिए मैंटेनैंस भी बहुत कम होता है।
Power Factor Correction – पावर फैक्टर को कैसे सुधार
दोस्तों पावर फैक्टर को सुधारना हमारे लिए बहुत फायदेमंद हे। फिर चाहे हम डोमेस्टिक लेवल की बात करे या इंडस्ट्रीज की बात करे। इंडस्ट्रीज में पावर फैक्टर को सुधार करने के लिए बहुत अच्छी टेक्निक का इस्तेमाल होता हे।
APFC PANEL
Automatic Power Factor Control Panel ज्यादातर PCC के साथ लगाई जाती हे। जिसमे एक रिले होती हे। उसको APFC Relay कहते हे। जिसका एम्पेयर सेंसिंग कनेक्शन लोड में लगे करंट ट्रांसफार्मर (CT) के साथ रहता हे।
लोड में जो पावर फैक्टर हे, उसको अनुमान करके यूनिटी तक लाने के लिए पैनल में लगे कपैसिटर औटो में ON करवाते हे। जिससे पावर फैक्टर में सुधार होता हे।
Power Factor in Hindi के इस आर्टिकल में पावर फैक्टर से संबंधित सभी मुद्दे को कवर करने की कोशिश की हे। फिरभी पावर फैक्टर से सम्बंधित कोई सवाल हे तो कमेंट बॉक्स में लिख सकते हे।