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Current Transformer in Hindi – Types of CT

Current Transformer in Hindi के इस आर्टिकल में CT याने करंट ट्रांसफार्मर के बारेमे माहिती दी गयी हे। करंट ट्रांसफार्मर एक इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर का टाइप हे। जिसको CT भी कहा जाता हे। CT और PT इलेक्ट्रिकल में प्रचलित नाम हे। PT को पोटेंशियल ट्रांसफार्मर कहते हे।

    

CT- Current Transformer in Hindi

 

Current Transformer ये एक ऐसी डिवाइस हे,जो हाई करंट वैल्यू को लोअर करंट में कन्वर्ट करता हे। कैपेसिटी के हिसाब से इसे HT लाइन में लगाया जाता हे। हमारी जरुरत के मुताबिक हमें आउट पुट मिलता है। याने CT का रेशियो हमारी जरुरत के मुताबिक हम सेलेक्ट कर सकते हे।

HT ट्रांसमिशन लाइन में से पसार होने वाले करंट को नाप ने के लिए एम्पेयर मीटर लगाया जाता हे। Current Transformer की सेकेंडरी साइड में कनेक्ट होता हे।

 

याद रखे – करंट ट्रांसफार्मर एक तरह का स्टेप उप ट्रांसफार्मर ही है। जैसे स्टेप उप ट्रांसफार्मर में वोल्टेज बढ़ने से करंट की वैल्यू कम होती हे। वैसे ही करंट ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी साइड में एम्पेयर कम हो जाता हे।

 

CT के रेशियो के अनुसार एम्पेयर मीटर का सिलेक्शन किया जाता हे। CT जो एक हाई करंट की वैल्यू को लौ करंट में कन्वर्ट करता हे,उस करंट की एक्चुअल वैल्यू हम एम्पेयर मीटर में देख सकते हे।

 

Current Transformer कैसे बनाया जाता हे।

 

करंट ट्रांसफार्मर की कोर सिलिकॉन स्टिल में से बनायीं जाती हे। इसमें उच्च गुणवत्ता वाला लेमिनेशन रहता हे। जो ज्यादा टेम्प्रेचर पे भी अपनी एक्यूरेसी बनाय रखता हे।

Current Transformer में प्राइमरी और सेकंडरी वाइंडिंग होता हे। जिसे कोर से इंसुलेटेड किया हुआ होता हे। इसमें प्राइमरी वाइंडिंग सिंगल टर्न का होता हे,जो Main सर्किट के साथ जुड़ता हे।

सेकेंडरी वाइंडिंग ज्यादा टर्न के साथ बनायीं जाती हे। क्युकी वो प्राइमरी वाइंडिंग के करंट को कम करके आउटपुट देता हे। जो हम मेजरिंग और कंट्रोलिंग के लिए उपयोग करते हे। करंट ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी साइड मीटर के साथ कनेक्ट की जाती हे।

 

Types of Current Transformer

 

करंट ट्रांसफार्मर (CT) तीन टाइप के होते हे। जो इसके कार्य के आधार पे तैयार किया जाता हे। जिसे हम निचे गयी आकृति में देख सकते हे। 

1 – Bar Type CT

2 – Wound Type CT

3 – Window Type CT

Current Transformer in Hindi
Current Transformer in Hindi

 

CT का मुख्य उपयोग

 

1 – करंट मेजरिंग के लिए – मीटरिंग में
2 – प्रोटेक्शन के लिए – रिले में
3 – कंट्रोल – इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में
4 – आइसोलेशन लिए
5 – हाई वोल्टेज पावर सप्लाई देने के लिए

 

याद रखे – जिस क्लिप ऑन मीटर से हम करंट चेक करते हे उसमे भी CT ही होती हे।

 

CT रेशियो क्या है ? What is CT Ratio ?

 

प्राइमरी करंट और सेकेंडरी करंट का जो रेशियो हे, उसे CT रेशियो कहते हे। आमतौर पे सर्किट में पसार होने वाले करंट से CT रेशियो की कैपेसिटी ज्यादा होती हे।

यदि हम प्राइमरी साइड की बात करे तो, 10 एम्पेयर से लेके 3000 एम्पेयर तक की कैपेसिटी होती हे। याने प्राइमरी वाइंडिंग के साथ कनेक्ट होने वाले करंट की वैल्यू 3000 एम्पेयर तक होती हे।

सेकेंडरी वाइंडिंग में ज्यादातर 5A या तो 1A होता हे। ऐसी स्थिमे CT की नेम प्लेट देखे तो, CT रेशियो 3000/5A, 2000/5A,1000/5A देखने को मिलेगा। इसमें पहली वैल्यू हे वो प्राइमरी वाइंडिंग की हे। और दूसरी वैल्यू सेकंडरी की हे।

 

Current Transformer में Burden क्या है ?

 

करंट ट्रांसफार्मर में और पावर ट्रांसफार्मर में थोड़ा अंतर हे। करंट ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी साइड कितना लोड ले सकता हे वो मेन्शन होता हे। जिसे बर्डन कहते हे।

CT का बर्डन -जब करंट ट्रांसफार्मर का सिलेक्शन करते हे,तो मुख्य बात ध्यान में रखनी होती हे,की सेकेंडरी साइड में कितना लोड रहने वाला हे। उसके आधार पे बर्डन त्यय होता हे। करंट ट्रांसफार्मर के सिलेक्शन में हमें इसका जरुर ध्यान रखना चाहिए।

 

CT के बर्डन को वाल्टएम्पेयर (VA) में दर्शाया जाता हे। जो CT के नेम प्लेट पे लिखा  होता  हे। Exa … 10VA,15 VA, 20VA 

 

CT की सेकेंडरी क्लोज होनी चाहिए

 

करंट ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी साइड को कभी ओपन नहीं रखते। आमतौर पे ये लोड के साथ कनेक्ट होती हे। और यदि लोड के साथ कनेक्ट नहीं भी हे तो इसे शार्ट कर दिया जाता हे।

जैसे मेने आगे बताया करंट ट्रांसफार्मर एक स्टेप उप ट्रांसफार्मर ही हे। जिसकी प्राइमरी में एक ही टर्न होता हे। जो कंडक्टर CT में से पसार किया जाता हे। वोही CT का प्राइमरी हे।

CT ( Current Transformer)  की सेकेंडरी में ज्यादा टर्न होते हे। फैराडे का इलेक्ट्रोमेग्नेटिक इंडक्शन के नियम अनुसार सेकेंडरी में वोल्टेज का मूल्य बढ़ जायेगा और करंट का वैल्यू कम हो जायेगा।

सेकेंडरी में वोल्टेज का मूल्य बढ़ जाता हे। वो भी किलोवोल्ट में होता हे। ऐसी स्थिति में यदि सेकेंडरी साइड को ओपन रखा जाये तो बहुत भयानक स्थिति हो सकती हे।

Current Transformer जल सकता हे। और कोई अकस्मात भी हो सकता हे। इसीलिए करंट ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी साइड हमेशा क्लोज रहती हे।

प्रोटेक्शन के तोर पे CT(Current Transformer) की सेकेंडरी साइड को अर्थ कर दिया जाता है। क्युकी, कभी ऐसी स्थिति आयी की CT की सेकेंडरी साइड ओपन हो गयी तो उस स्थिति में रिले ऑपरेट होके प्रोटेक्शन देता हे।

 

याद रखे – एम्पेयर मीटर हमेशा  सीरीज में कनेक्ट होता हे। R’ Y’ B तीनो फेज में अलग अलग CT लगायी जाती हे।

 

CT- Current Transformer का नेम प्लेट

Current transformer ( CT ) की नाम प्लेट का सैंपल है। इससे पता चलता है की, एक करंट ट्रांसफार्मर में क्या पैरामीटर होते है।

 

System Voltage 11 kv
CT Ratio 100/5 A
VA Rating / Burden 10 VA
Frequency 50hz +-5%
Ambient Temprature 60″C
Accurary  Class – 1
Short time Rating 20 ka for 1 sec.
Type Bar wound window
Indoor / Outdoor Indoor
Cooling Natural
   

 

Current Transformer in Hindi

                                          HT Line CT-Current Transformer in Hindi

 

याद रखे – क्लास जितना कम इतनी CT की एक्यूरेसी अच्छी होती हे।

 

CT का सिलेक्शन में ध्यान में रखने वाले पॉइंट 

 

  • System Voltage – कितने वोल्टेज के लिए हमें CT करना हे ये दर्शना।
  • Ratio – CT रेशियो हमें लिखना पड़ेगा जो हमारी जरुरत  कर पाये।
  • VA Rating / Burden- CT पे कितना लोड रहने वाला हे इसके आधार पे त्यय होता हे।
  • Accuracy- बहुत ही इम्पोर्टेन्ट फैक्टर हे। ये क्लास के रूप में दर्शाया जाता हे। जैसे 0.5, 1, 1.5, 2
  • Short Time Rating – ये फाल्ट के समय में पसार होने वाले करंट कररिंग कैपेसिटी हे।
  • टाइप में कोनसे प्रकार की CT चाहिए, इंडोर आउट डोर चाहिए, कूलिंग का प्रकार HT लाइन में CT मान्य रखता हे। फ़्रिक्वेन्सी और टेम्प्रेचर के साथ पूरा विवरण किया जाये तो हमें जो Current Transformer चाहिए वो मिल सकता हे।

 

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CT में कोनसे टेस्ट किये जाते हे ?

 

Routine Test –  हमारी जरुरत के मुताबिक हर एक CT को टेस्ट किया जाता हे उसे रूटीन टेस्ट कहते हे। 

Type Test – इस प्रकार का टेस्ट हर एक CT नहीं किया जाता। पुरे लोट से दो या तीन CT का टेस्ट किया जाता हे उसे टाइप टेस्ट कहते हे।

Accuracy Test – इसमें प्राइमरी और सेकेंडरी के रेशियो को चेक किया जाता हे।

Dielectric Insulation Test – CT हाई वोल्टेज पे काम करने वाली डिवाइस हे। इसीलिए इसका इंसुलेशन टेस्ट होता हे। इस टेस्ट के लिए वोल्टेज का मूल्य, रेटिंग वोल्टेज से कही ज्यादा होता हे।

Temperature Raise Test – इस प्रकार के टेस्ट में CT पूरा करंट दिया जाता हे। और उस वक्त टेम्प्रेचर कितना बढ़ता हे ये चेक किया जाता हे।

Short Time Current Test – फॉल्ट समय में बहुत ज्यादा करंट फ्लो होता हे। उस करंट को सहने की शक्ति CT में हे की नहीं ये चेक किया जाता हे।

Terminal Marking and Polarity – इस प्रकार के टेस्ट में Current Transformer के ऊपर जो टर्मिनल होते हे। प्राइमरी सेकेंडरी,S1,S2 को चेक किया जाता हे।

 

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