इलेक्ट्रिकल सिस्टम में PT का रोल महत्व का है। यहाँ PT (Potential Transformer) की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है। Potential Transformer PT kya hai ? के आर्टिकल से हम पोटेंशियल ट्रांसफार्मर को समज सकते है।
Potential Transformer PT kya hai ? What is PT ?
PT KA Full Form- Potential Transformer है। PT एक प्रकार का ट्रांसफार्मर है। इसे इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है। ट्रांसफार्मर का काम वोल्टेज को स्टेप उप और स्टेप डाउन करना है। पोटेंशियल ट्रांसफार्मर ये एक प्रकार का स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर ही है।
पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का शार्ट नाम PT है। PT का उपयोग प्रोटेक्शन एवं मीटरिंग के लिए किया जाता है। Electrical System में कण्ट्रोल सप्लाई के तोर पर इस्तेमाल होता है। PT के सप्लाई के द्वारा पूरी सिस्टम को कण्ट्रोल किया जाता है।
PT ( Potential Transformer ) ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में उपयोग किया जाता है। HT ( High Tension ) लाइन में वोल्टेज का मूल्य बहुत ज्यादा होता है। इसे मेजर करना मुमकिन नहीं है। इसीलिए इसमें (Potential Transformer) PT को लगाया जाता है।
पोटेंशियल ट्रांसफार्मर के प्रकार
पोटेंशियल ट्रांफॉर्मर का मुख्य दो प्रकार है। जिसे हम निचे आकृति के साथ समजते है।
1- इनडोर पोटेंशियल ट्रांसफार्मर
निचे की आकृति में इनडोर Potential Transformer देख सकते है।
Indoor PT (Potential Transformer)
इन डोर पोटेंशियल ट्रांसफार्मर किसी भी रूम के अंदर उपयोग होता है। जैसे HT Panel में पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का यूज होता है। HT पैनल में सर्किट ब्रेकर होता है। ब्रेकर के इनकमिंग में CT और PT लगायी जाती है। ये CT , PT इन दूर प्रकार की होती है।
2- आउटडोर पोटेंशियल ट्रांसफार्मर
निचे की आकृति में हम आउटडोर Potential Transformer देख सकते है।
Indoor PT (Potential Transformer)
HT Yard में आउटडोर HT Breaker इन्सटाल्ड होता है। इस ब्रेकर के साथ पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है। यहाँ PT की रचना आउटडोर के हिसाब से ही की जाती है।
इंडोर या आउटडोर का सेलेलक्शन कस्टमर करता है। पोटेंशियल ट्रांसफार्मर हमारी जरूरियात के मुजब हम इसे इस्तेमाल कर सकते है।
पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (PT) कैसे काम करता है ?
PT ( Potential Transformer ) एक तरह से स्टेप डाउन प्रकार का ही ट्रांसफार्मर है। हाई टेंशन लाइन में 400 kv, 220 kv, 132kv, 110kv वोल्टेज लेवल होता है। ये वोल्टेज को मेजर करना संभव नहीं है। पर PT ( Potential Transformer) के द्वारा इसे स्टेप डाउन किया जाता है।
PT की प्राइमरी साइड में हाई वोल्टेज दिया जाता है। और सेकेंडरी साइड में हमें PT के रेश्यो के अनुशार वोल्टेज मिलते है। ज्यादातर PT का आउटपुट 110 वाल्ट AC ही होता है।
उदाहरण के तोर पे ……
400 KV / 110 वाल्ट, 220 KV/110 वाल्ट, 132 KV/110 वाल्ट। PT से निकल ने वाले ये वोल्टेज को हम मेजरमेंट और प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल करते है।
पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का आउटपुट एक से ज्यादा भी हो सकता है। यह हमरी जरूरियात पे निर्भर करता है। जैसे एक pt का इनपुट 220kv है और आउट पूत 110 वाल्ट और 220 वाल्ट भी हो सकता है।
PT Ratio क्या है ?
जिस तरह CT (Current Transformer) में हाई करंट की वैल्यू जानने के लिए CT का रेश्यो होता है। ठीक उसी तरह PT में हाई वोल्टेज की वैल्यू जानने के लिए PT (पोटेंशियल ट्रांसफार्मर) का रेशियो होता है।
हम ने करंट ट्रांसफार्मर की नाम प्लेट पे रेश्यो देखा है। जैसे 100/5 A, 250/5A, 500/1A 100/5A इस तरह की वैल्यू के साथ ct रेश्यो होता है।
ठीक वैसे ही पोटेंशियल ट्रांसफार्मर पे भी लिखा होता है। PT में 220KV/110V, 132KV/110V, 33KV/110, 22KV/110V का रेशियो होता है।
ऊपर की आकृति से हम समज सकते है। इसमें पोटेंशियल ट्रांसफार्मर की प्राइमरी साइड में 7200 वाल्ट दिया जाता है। सेकंडरी साइड में हमें 120 वाल्ट मिलते है। इसके हिसाब से ये Potential Transformer का रेश्यो 60:1 होता है।
ठीक वैसे ही HT Line में 220kv या 110kv जैसे मूल्य का वोल्टेज होता है। इस वोल्टेज को PT की प्राइमरी साइड में कनेक्ट किया जाता है। PT की सेकेंडरी साइड में हमें 110 वाल्ट AC मिलते है। जैसे प्राइमरी की वैल्यू चेंज होगी सेकेंडरी की वैल्यू भी चेंज होगी।
कोई हाई टेंशन लाइन में 400 kv विद्युत पावर (Electricity) का वहन होता है। ऐसी लाइन का वोल्टेज मूल्य को मजेर करने के लिए पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल होता है।
Application of PT- पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का उपयोग
1- इलेक्ट्रिसिटी के पैरामीटर मेजर करने के लिए मीटरिंग में उपयोग होता है।
2- इलेक्ट्रिकल सिस्टम के सुरक्षा के लिए PT (Potential Transformer) का use होता है।
3- इलेक्ट्रिकल फीडर डिस्टेंस प्रोटेक्शन के लिए PT का उपयोग होता है।
4- इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर के तोर पे भी PT ( पोटेंशियल ट्रांसफार्मर ) का उपयोग होता है।
5- जनरेटर और ग्रिड के Synchronizing के लिए उसे यूज़ किया जाता है।
6- जनरेटर के इम्पीडेन्स प्रोटेक्शन के लिए PT (Potential Transformer) का उपयोग होता है।
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