यहां हम Types of transformer in Hindi के इस लेसन में अलग-अलग प्रकार के ट्रांसफार्मर और उसके उपयोग के बारे मे विस्तृत में जानेंगे। टांस्फॉर्मर इलेक्ट्रिकल शाखा में हदय के समान हे। बिना ट्रांसफार्मर के हम इलेक्ट्रिकल फैसिलिटी के बारे में नहीं सोच सकते।
ट्रांसफार्मर के प्रकार – Types of Transformer in Hindi
ट्रांसफार्मर के प्रकार अपने उपयोग के आधार पर, बनावट के आधार पर,फेज के आधार पर,कूलिंग के आधार पर, वोल्टेज के आधार पर,और वाइंडिंग के आधार पर हमारी जरूरियात के मुताबित अलग-अलग प्रकार के उपलब्ध हे।
Classification of Transformer
Phase – के आधार पे Types of Transformer in Hindi
1- Single phase Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही कोर में इनर कोइल और आउटर कोइल रहती हे। जिसमे एक प्राइमरी के रूप में और एक सेकेंडरी के रूप में काम करती हे।
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का उपयोग ज्यादातर वोल्टेज और करंट के मूल्य को स्टेप डाउन करके किया जाता हे। जैसे की इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिसमे स्टेप डाउन करके rectifier से DC में कन्वर्ट करके उपयोग किया जाता हे।
CT PT और पैनल के कण्ट्रोल सप्लाई में इसका उपयोग किया जाता हे।
2- 3 Phase Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में थ्री फेज प्राइमरी और थ्री फेज सेकेंडरी वाइंडिंग होती हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का मुख्य लाभ ये हे की सामान क्षमता वाले तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर से थ्री फेज ट्रांसफार्मर की लागत कम रहती हे और उसका आकर भी छोटा हो जाता हे।
इसीलिए तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर की तुलना में इंस्टालेशन में जगह भी कम लगती हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन में उपयोग होता हे।
Voltage – के आधार पर Types of Transformer in Hindi
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ट्रांसफार्मर का कार्य, सिद्धांत एवम भाग
3- Step up Transformer:-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में वोल्टेज की जो वैल्यू हे उस वैल्यू को अप करने, बढ़ाने के लिए किया जाता हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वाइंडिंग के तार सेकेंडरी वाइंडिंग की तुलना में मोटा रहता हे। और वाइंडिंग के टर्न्स सेकेंडरी की तुलना में कम रहता हे।
स्टेप उप में वोल्टेज की वैल्यू हमारी जरूरियात के मुताबित रहती हे। जैसे की 0.433/11kv, 11/33 kv etc . . इसके आधार पे जितना वोल्टेज की वैल्यू ज्यादा होगी इतना सेकेंडरी साइड में करंट की वैल्यू कम होगी।
इसका उपयोग ज्यादातर पावर स्टेशन नो में किया जाता हे। जहा पावर का जनरेशन होता हे। जनरेट किया हुआ पावर सप्लाई दूर तक पहुँचाना हे, तो उसे स्टेप अप करके पहुंचाया जाता हे।
4- Step down Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में वोल्टेज की वैल्यू कम,डाउन करने के लिए किया जाता हे। हमारे पास वोल्टेज का एक वैल्यू हे जिसे हम हमारी आवश्यता के अनुशार स्टेप डाउन करके उपयोग कर सकते हे।
जैसे की हमारे पास 230VAC हे और हमें 110 वाल्ट चाहिए तो यहाँ हमें 230/110 VAC का ट्रांसफार्मर लगाना पड़ेगा।
Step Down Transformer में सेकंडरी की तुलना में प्राइमरी वाइंडिंग में पतला तार और ज्यादा टर्न्स रहता हे। और एम्पेयर भी प्राइमरी की तुलना में सेकेंडरी में ज्यादा रहता हे।
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का उपयोग ट्रांसमिशन लाइन जो इंडस्ट्रीज तक आती हे,या गांव तक आती हे उसे स्टेप डाउन करके डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उपयोग में लिया जाता हे। इसके आलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में और वेल्डिंग मशीनो में भी उसका उपयोग होता हे।
5- Auto Transformer :-
ट्रांसफार्मर में आमतौर पे दो वाइंडिंग रहता हे। एक प्राइमरी और एक सेकेंडरी, पर इस प्रकार के Transformer में एक ही वाइंडिंग रहता हे जो प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों का काम करता हे।
वाइंडिंग का कुछ हिस्सा सेकेंडरी का काम करता हे। इसीलिए दो वाइंडिंग के बीच मे कोई गैप या आइसोलेशन नहीं रहता।
Economically देखे तो इसमें मेग्नेटिक फ्लक्स का लीकेज कम रहता हे इसीलिए, लोसिस कम होता हे। एक ही वाइंडिंग से प्राइमरी और सेकंडरी दोनों काम करते हे। इसीलिए कॉपर का उपयोग कम होता हे। डबल वाइंडिंग की तुलना में कार्यक्षमता ज्यादा हे।
इसमें स्टेप अप,स्टेप डाउन,अलग अलग स्टेप में और वेरिएबल टाइप के Transformer होते हे। इसका इस्तेमाल ज्यादा तर लेबोरटरी और स्टेबिलाइजर में होता हे।
इंटरव्यू में जाने से पहले ये टिप्स जरुर पढ़े
Core के आधार पे Types of Transformer in Hindi
6- Core Type Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग अलग अलग होते हे। आउट साइड कोर पे वाइंडिंग की जाती हे। इसमें L(एल) Type, U (यु) Type और I (आई) टाइप के जैसे अलग अलग प्रकार के होते हे।
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर जहां हाई वोल्टेज एप्लीकेशन होती हे जैसे पावर ट्रांसफार्मर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में उपयोग किया जाता हे।
7- Shell Type Transformer :-
इस प्रकार के Transformer में बिच के limb पे प्राइमरी and सेकेंडरी वाइंडिंग की जाती हे। आउट साइड की कोर से उसे ढका जाता हे। E टाइप में बनाया जाता हे।
इसमें डबल मैग्नेटिक सर्किट होने की बजेसे उसे शैल टाइप ट्रांसफार्मर कहा जाता हे। कोर टाइप ट्रांसफार्मर की चलने में लॉ वोल्टेज में इसका उपयोग किया जाता हे।
8- Berry Type Transformer :-
ये एक प्रकार का शैल टाइप ट्रांसफार्मर ही हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही वाइंडिंग होती हे।
इसमें मेग्नेटिक फ्लक्स के पाथ दो से ज्यादा रहता हे। इसमें स्पेशल इंसुलेटिंग आयल का उपयोग किया जाता हे। जिसमे पूरा टांस्फॉर्मर रहता हे।
Cooling के आधार पे ट्रांसफार्मर के टाइप
9- ONAN Transformer :-
ONAN ट्रांसफार्मर का मतलब हे Oil Natural Air Natural याने ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने की सुविधा हे वो प्राकृतिक हे। ट्रांसफार्मर को कूलिंग करने के लिए बहार से कोई आयल या एयर का प्रेशर नहीं दिया जाता।
वो प्राकृतिक तरीके से ही कूलिंग होता हे इसी लिए इसे ONAN ट्रांसफार्मर कहते हे। इसका उपयोग लो वोल्टेज के पॉवरट्रांसफार्मर में किया जाता हे।
10- ONAF Transformer :-
ONAF ट्रांसफार्मर का मतलब हे Oil Natural Air Natural याने की ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने की सुविधा पूरी तरह प्राकृतिक नहीं हे। इसमें आयल तो नेचुरल तरीके से कूलिंग होता हे पर एयर का बहार से फाॅर्स दिया जाता हे।
याने कूलिंग के लिए फैन लगाया जाता हे, और ट्रांसफार्मर की हीट को कम किया जाता हे। मीडियम और हाई वोल्टेज ट्रांसफार्मर में ज्यादा हीट उत्पन्न होती हो ऐसी जगह पे लगाए जाता हे।
11- OFAF Transformer :-
OFAF ट्रांसफार्मर का मतलब हे Oil Force Air Force याने ट्रांसफार्मर को कूलिंग करने के लिए आयल और एयर दोनों का फाॅर्स बहार से दिया जाता हे।
इसमें आयल Circulating के लिए पंप का उपयोग होता हे और एयर के लिए फैन लगाए जाते हे।
इसका उपयोग हाई वाल्टज सिस्टम में जाया ज्यादा लोड और टेम्प्रेचर रहता हो उसी जगह किया जाता है।
हर एक इंटरव्यू में पूछे जाने वाले कॉमन सवाल -जवाब
Winding – के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार
12- Single winding Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही वाइंडिंग रहती हे। जो प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों का काम करती हे। आउटपुट में अलग-अलग रेंज के स्टेप रहता हे, या तो वेरिएबल रहता हे।
इसे ऑटो ट्रांसफार्मर भी कहते हे। ज्यादातर सिंगल फेज लैब उपकरण के लिए उपयोग किया जाताहै।
13- Double winding Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग रहते हे एक प्राइमरी एंड एक सेकेंडरी जो इलेक्ट्रिकली isolate होता हे पर मेग्नेटिकली एक दूसरे से कनेक्ट रहता हे।
Requirement के हिसाब से कैपेसिटी के अनुशार तैयार करके उसे उपयोग कर सकते हे।
14- Multi winding Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर को मल्टी कोइल ट्रांसफार्मर भी कहा जाता हे। प्राइमरी और सेकेंडरी में एक कोइल से ज्यादा कोइल हे तो उसे मल्टी वाइंडिंग ट्रांसफार्मर कहते हे।
सिंगल फेज और थ्री फेज भी हो सकते हे। वो स्टेप अप और डाउन भी हो सकते हे। उसका ऑपरेशन सिद्धांत वो ही हे जो नॉर्मल ट्रांसफार्मर का रहता हे।
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Application के आधार पर Types of transformer in Hindi
15 – Power Transformer:-
पावर ट्रांसफार्मर का उपयोग जनरेटर और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन के बिच में पावर को स्टेप अप और स्टेप डाउन करने के लिए होता हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर कैपेसिटी के हिसाब से तीन रेंज में मिलते हे।
छोटी रेंज में 500 kva तो 7500 kva, मीडियम रेंगे में 100 mva और बड़ी रेंज में 100 mva से ज्यादा। इस ट्रांसफार्मर का ज्यादातर उपयोग पावर प्लांट में किया जाता हे। ये 100 % efficiency पे काम करता हे।
16- Distribution Transformer:-
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर पावर को डिस्ट्रीब्यूट करता हे। पावर ट्रांसफार्मर की तुलना में डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर छोटा रहता हे। और इसे लौ वोल्टेज के लिए उपयोग किया जाता हे।
33kv,22kv,11kv इंडस्ट्रीज में पावर सप्लाई और 440 वाल्ट 230 वाल्ट घरेलु वपराश के लिए उपयोग किया जाता हे। ये 50 से 70% efficiency पे काम करता हे।
17- Instrument Transformer:-
इस टाइप के ट्रांसफार्मर वोल्टेज और करंट को स्टेप डाउन करके प्रोटेक्टिव और मेजरिंग उपकरण में उपयोग किया जाता हे।
17.1 – Current Transformer :-
इसे CT भी कहते हे। करंट ट्रांसफार्मर का उपयोग हाई करंट को स्टेप डाउन करके उसे प्रोटेक्शन और मेजरिंग के लिए उपयोग करते हे।
जैसे की 100/5 Ampere का मीटर हे तो जो मीटर से कनेक्ट होगा वो ct की सेकेंडरी से कनेक्शन होगा। CT यहा 100 amp को स्टेप डाउन करके 5amp. कर देता हे। वही मीटर अपने रेश्यो के हिसाब से एम्पेयर दिखता हे।
17.2 – Potential Transformer :-
इसे PT भी कहते हे। PT की प्राइमरी हाई वोल्टेज से कनेक्ट रहती हे और सेकेंडरी में हमें 110 वाल्ट (लॉ वोल्टेज) मिलते हे। पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का उपयोग हाई वोल्टेज को स्टेप डाउन करके उसे प्रोटेक्शन और मेजरिंग के लिए वाल्टमीटर,वोट मीटर,और एनर्जी मीटर में उपयोग किया जाता हे।
18- Pulse Transformer :-
इस प्रकार का ट्रांसफार्मर में वोल्टेज और करंट के Rectangular इलेक्ट्रिकल पल्स को प्राइमरी से सेकेंडरी में संचारित करता हे। और इसे नियंत्रित करता हे, इसीलिए उसको पल्स ट्रांसफार्मर कहते हे।
इस का उपयोग वोल्टेज के Amplitude चेंज करने के लिए,पल्स की पोलेरिटी बदलने के लिए,लॉ पावर सर्किट से पावर को बंध करने के लिए किया जाता हे।
19- Element Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर फर्नेश और अल्लुमिनियम मेल्टिंग करना हो ऐसी जगह पे उपयोग होता हे। याने की जहा ज्यादा टेम्प्रेचर की जरुरत हे।
किसी धातु को या ग्लास को हीटिंग करके मेल्टिंग की जरुरत हे तो ऐसी जगह पे हीटिंग एलिमेंट ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता हे।
20- Air core Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग nonmagnetic फॉर्म पे किया जाता हे। इसका उपयोग रेडियो फ्रीक्वेंसी सर्किट में इसका उपयोग किया जाता हे। जहा hz मेगा में होता हे।
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का वेइट बहुत कम रहता हे। रेडियो मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में उसका उपयोग किया जाता हे।
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What is Level 2 and Level 3 Transformer – एनर्जी एफिशन्ट ट्रांसफार्मर क्या है ?
ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण है जो 24/7 इलेक्ट्रिसिटी से कनेक्ट रहता है । स्टेप उप और स्टेप डाउन का वाइंडिंग होता है। ट्रांसफार्मर में कही तरह के लोसिस होते है।
ट्रांसफार्मर के लोसिस को कण्ट्रोल करने के लिए BIS ( Buero of indian Standard) ने कुछ नियम बनाये है। इससे पहले IS 1180 के तहत नियम 1989 में बनाये गए थे। जिसे 2014 में अपग्रेड किया गया।
हमने घरमे उपयोग होने वाले उपकरणों में स्टार रेटिंग देखा है। फ्रीज़, एयर कंडीशनर जैसे उपकरण पर स्टार रेटिंग होता है। ये सब 2014 में बदले गए नियम पर आधारित है।
ट्रांसफार्मर का लेवल -1 ये एक तरह से 3 स्टार रेटिंग का है। लेवल -2, 4 स्टार रेटिंग का है। और ट्रांसफार्मर का लेवल -3 याने ये 5 स्टार रेटिंग का है।
ट्रांसफार्मर Level 2 और level 3 Energy Efficiant Transformer है। इसमें इस्तेमाल होने वाली धातु में किसी तरह का मिलावट नहीं होती है। जब हम लेवल -3 का ट्रांसफार्मर की मांग करते है तो उसे बहुत सारे टेस्ट से गुजरना पड़ता है। और एक बेहतरीन एनर्जी सेवर ट्रांसफॉमर की रचना होती है। जिसे हम लेवल -2 और लेवल -3 ट्रांसफार्मर कहते है।
लेवल -2 और लेवल 3 के ट्रांसफार्मर में कितना सेविंग होगा और कितना लोसिस होगा यह हमें पहले ही बताया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा दिए गए मापदंड भी तैयार किये गए है।
Types of transformer in Hindi के इस लेसन में अलग-अलग प्रकार के ट्रांसफार्मर और उसके उपयोग के बारे मे विस्तृत में हमने देखा। फिर भी ट्रांसफार्मर से सम्बंधित कोई भी सवाल हे तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हो। ट्रांसफार्मर का कार्य एवं भाग के बारेमे जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।