नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि Relay क्या होता है? रिले की काम करने की पद्धति क्या है ? रिले कितने प्रकार के होती है ? और रिले का इस्तेमाल कहा होता है ? रिले के सभी पहलु पर What is Relay Hindi के इस आर्टिकल में विस्तार से समझेंगे।
रिले इलेक्ट्रिकल पावर सप्लाई पे ऑपरेट होने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस है। बढ़ती टेक्नोलॉजी के चलते इसका उपयोग भी बढ़ गया है। डोमेस्टिक उपकरण हो या इंडस्ट्रीज उपकरण दोनों में इसका इस्तेमाल होता है। रिले एक स्विचिंग डिवाइस की तरह काम करता है। यह उपकरणों को ऑटोमेशन में भी इस्तेमाल होता है। और इसके ऑन – ऑफ के लिए भी काम करता है।
Relay द्वारा किसी प्रकार के भी सर्किट में पावर सप्लाई को बंद या चालू किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किया जाता है। अब आपको अगर इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी चाहिए तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पोस्ट को आखिर तक पढ़े ।
रिले क्या है ?-What is Relay Hindi
Relay एक प्रकार का ऐसा यांत्रिक का यंत्र है, जिसके माध्यम से किसी भी सर्किट में पावर सप्लाई को चालू और बंद किया जा सकता है। इसे हम प्रोटेक्शन डिवाइस भी बोल सकते है और स्विचिंग डिवाइस भी कह सकते है। किसी भी सर्किट को कण्ट्रोल करने वाला एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी कह सकते है।
कुल मिलाकर हम कहे तो ऑटोमेशन से सम्बंधित कोई भी सर्किट इसके बिना संचालित नहीं हो सकती है। आप इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि, जैसे घर में अगर आपको गर्मी लग रही है तो आप पंखे के बटन को ऑन कर देते हैं । और अगर गर्मी नहीं है तो उसे ऑफ कर देते हैं। लेकिन यह फैन को बिना स्विच On – Off किये ऑपरेट करना है, तो रिले का इस्तेमाल करना पड़ेगा।
Relay में NO – NC कांटेक्ट रहते है। जिसे कमांड मिलने के बाद अपनी स्थिति चेंज करते है। रिले का कांटेक्ट को कब चेंज होना है, यह करंट, वोल्टेज, टाइमर, तापमान और प्रेसर जैसे पैरामीटर पर आधार रखता है। Relay को एक तरह से स्विचिंग बटन भी कहते हैं।
Relay types in Hindi- रिले के प्रकार
रिले के प्रकार बहुत सारे है। रिले के उपयोग के आधार पर, रिले के वर्किंग सिद्धांत के आधार पर, प्रोटेक्शन के आधार पर अलग – अलग प्रकार होते है। विभिन्न प्रकार की रिले से यहाँ कुछा खास प्रकार की रिले का विवरण निचे दिया गया है।
वर्किंग सिद्धांत के आधार पर | पोल के आधार पर प्रकार | उपयोग के आधार पर रिले का प्रकार | |
विद्युत चुंबकीय रिले | सिंगल पोल सिंगल थ्रो (NO) | मर्क्युरी रिले | सॉलिड स्टेट रिले |
अर्ध चालक आधारित रिले | सिंगल पोल सिंगल थ्रो (NC) | वैक्यूम रिले | स्थैतिक रिले |
सिंगल पोल डबल थ्रो | लॉचिंग रिले | रीड रिले | |
डबल पोल सिंगल थ्रो | टाइम डिले रिले | पोलोरिएस रिले | |
डबल पोल डबल थ्रो | सेफ्टी रिले | मशीन टूल रिले | |
कोएक्सिअल रिले | ओवर लोड रिले | ||
ट्रांसफार्मर प्रोटेक्शन रिले | जनरेटर प्रोटेक्शन रिले |
कार्य सिद्धान्त के आधार पर
कार्य के सिद्धांत पर आधारित दो प्रकार की रिले होती हैं
- विद्युतचुम्बकीय रिले- Magnetic Relay ( विद्युतचुम्बकीय रिले काफी बड़ी होती है और इनका इस्तेमाल इनवर्टर स्टेबलाइजर इत्यादि में किया जाता है)
- अर्धचालक आधारित रिले ( इनका आकार छोटा होता है। और इनका इस्तेमाल छोटे सर्किट में किया जाता है।
पोलों की संख्या के अनुसार- Types Of Relay
पोलों की संख्या के अनुसार relay निम्नलिखित प्रकार के होते हैं जिनका विवरण मैं आपको नीचे दे रहा हूं जो इस प्रकार है –
- Single Pole Single Throw Normally-Open
- Single Pole Single Throw Normally-Close
- Single Pole Double Throw
- Double Pole Single Throw
- Double Pole Double Throw
इस प्रकार के relay का प्रयोग विशेष प्रकार का पंप मोटर चलाने के लिए होता है। आप इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि आप अपने खेतों में पानी डालना चाहते हैं। और आपके पास दो पानी के मोटर हैं। और आप चाह रहे हैं कि दोनों एक साथ कार्य न करें तो, इसके लिए आपको इसके कनेक्शन में कुछ बदलाव करना होता है।
इसमें रिले का NO और NC का इंटरलॉक करना होता है। जैसे एक जिसे एक समय पे कोई एक ही चलेगा। कण्ट्रोल कनेक्शन के द्वारा हम जिस तरह चलना चाहे चला सकते है।
पर इसमें Water Pump का कनेक्शन पहले NC Terminal पर करना है। और दूसरे Water Pump का कनेक्शन NO Terminal पर करना है।
टाइमर या लेवल स्विच के आधार पर हमें पंप को ऑपरेट करना है। और यहाँ किसी एक समय पे एक ही चले इस तरह से इंटरलॉकिंग करना है।
जैसे एक पानी की टंकी भरेगी तो आपकी रिले सक्रिय हो जाएगी। NC कांटेक्ट अपने आप NO बन जाएगा और NO कांटेक्ट NC बन जाएगा और दूसरे Water Pump में सप्लाई शुरू हो जाएगी। तो इस प्रकार आप Single Pole Double Throw रिले का इस्तेमाल कर सकते हैं।
रिले का उपयोग एवं Volt के अनुसार relay types
- Mercury Relay
- Overload Protection Relay
- Latching Relay
- Vacuum Relays
- Force-Guided Contacts Relay
- Multi-Voltage Relays
- Time Delay Relay
- Mercury-Wetted Relay
- Safety Relays
- Coaxial Relay
- Solid-State Relay
- Static Relay
- Contactor
- Solid-State Contactor
- Reed Relay
- Polarized Relay
- Machine Tool Relay
Relay working principles-
रिले इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है। यह विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत में जब किसी कोइल में विद्युत सप्लाई दिया जाता है तब, उसमे एम्फ उत्पन्न होते है। कोइल के साथ विद्युत चुंबकीय क्षेत्र भी उत्पन्न होता है ।
जब रिले की कोइल को सप्लाई दिया जाता है तब कोइल से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह चुंबकीय क्षेत्र प्लंजर को खींचता है। प्लंजर के साथ रिले के कोन्टक्ट जुड़े हुए होते है। यहाँ कांटेक्ट का चेंज ओवर होता है। यहाँ उत्पन्न होने वाला चुंबकीय क्षेत्र अस्थायी है। यह चुंबकीय क्षेत्र जब पावर सप्लाई चालू रहता है तब रहेगा । और बंद करंगे तो चुंबकीय क्षेत्र नहीं रहेगा।
रिले में कांटेक्ट की क्षमता हमरी जरूरियात पे आधार रखती है। पावर सप्लाई की बात करे तो 5volt से लेकर 230 वाल्ट के पावर सप्लाई की रिले होती है।
रिले का आंतरिक भाग नीचे की आकृति में दिखाया गया है। इसमें एक लोहे का कोर होता है जो एक नियंत्रण कोइल द्वारा घेरा हुआ होता है। लोड और नियंत्रण स्विच के संपर्कों के माध्यम से कोइल को बिजली की सप्लाई दी जाती है। कोइल के माध्यम से प्रवाहित होने वाली धारा इसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।
इस चुंबकीय क्षेत्र के कारण चुंबक की ऊपरी भुजा निचली भुजा को आकर्षित करती है। इसलिए सर्किट को बंद (NC) और चालू (NO) होता है ।
Relay काम कैसे करता है?
Relay काम करने का तरीका बहुत ही आसान है। जैसा कि आप लोग जानते हैं Relay एक Coil का प्रयोग किया जाता है। इस कोइल को पावर सप्लाई दिया जाता है। जब रिले सप्लाई दिया जाता है तब, इसके सभी कांटेक्ट चेंज हो जाते है।
जैसे ही हम Relay की Coil को Spply करेंगे तो यह coil सक्रिय हो जाती है। और Armature को अपनी तरफ में खींच लेती है। जिससे कि Common Terminal अब NC Contact से हटकर NO Contact से जुड़ जाता है। लेकिन जैसे ही Relay की Supply बंद करेंगे तब इसमें लगा Spring वापिस आर्मेचर को अपनी तरफ खींच लेता है। और इसी कारण फिर से Common Terminal NC Contact से जुड़ जाता है।
जो इसमें लगे Normal Close (NC) को Normal Open (NO) में बदल देती है। और Normaly Open( NO) को Normaly Close में बदल देती है। रिले के इस कांटेक्ट से एक पूर्ण सर्किट बनती है। ऑटोमेशन और प्रोटेक्शन में रिले का खूब महत्व है।
Relay के अंदर कौन कौन से Parts और उनके कार्य होते हैं-
इसके अंदर निम्नलिखित प्रकार के पार्ट होते हैं और उनके कार्य भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं जिनका विवरण में आपको नीचे दे रहा हूं जो इस प्रकार है-
कोइल- Coil
किसी भी relay का कीमत सिर्फ उसके क्वाइल से ही होता है। कोइल रिले का मुख्य भाग है। सारा काम सिर्फ coil द्वारा होता है। अगर हम coil को relay का आत्मा कहेंगे तो कोई गलत नहीं होगा क्योंकि, इसके बिना कोई भी relay काम नहीं कर सकता है।
इसके बाहरी भाग में 2 connection pin निकला होता है,जिसमें supply दिया जाता है। जैसे ही coil में supply दिया जाता है तो वहां magnetic field बन जाता है। मैग्नेटिक फील्ड प्लंजर को खींचता है, जिसके कारन रिले के कांटेक्ट चेंज होते है। NO ,NC बन जाता है और NC , NO बन जाता है।
कोर- Core
Relay का coil, जरूरत के अनुसार design किये गए लोहे के ठोस कोर पर लपेटा जाता है। ये कोर ही relay के coil को जलने से बचाता है, और एक मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र बनाने में सहयोग देता है। जब रिले को उचित सप्लाई दिया जाता है तब वहां magnetic shield बन जाता है जो प्लंजर को अपने और खींच लेता है जिससे ये रिले on हो जाता है।
दोलन – Plunzer
रिले बंद और और चालू करने के लिए करने के लिए उसके अन्दर एक दोलन लगाया जाता है। जो चुंबकीय क्षेत्र बनने के बाद अपने जगह से हिल जाता है जिससे relay के switch वाले pin आपस में connect या disconnect हो जाते जाते हैं I
कांटेक्ट – Contact Terminal
रिले में इनपुट पावर सप्लाई के लिए फेज और न्यूट्रल का टर्मिनल रहता है। इस टर्मिनल के साथ रिले कएल का कनेक्शन रहता है। यहाँ सप्लाई देने से कोइल एनेर्जाइजे होगी। और रिले का NO – NC कांटेक्ट चेंज होंगे। रिले का कांटेक्ट एक या एक से ज्यादा भी होते है। यह हमारी जरूरियात पे आधार रखता है।
Relay के उपयोग- Use of Relay
Relay का उपयोग निम्नलिखित प्रकार के चीजों में होता है जिनका विवरण में आपको नीचे बिंदुसार दूंगा जो इस प्रकार है-,
- Relay एक से अधिक सर्किट में प्रवाहित होने वाली विद्युत धाराओं को ऑन और ऑफ करने की क्षमता इसके अंदर होती है।
- इलेक्ट्रिक उपकरण जैसे ब्रेकर, ट्रांसफार्मर, जनरेटर और मोटर के प्रोटेक्शन में रिले का उपयोग होता है।
- इलेक्ट्रॉनिक एवं इलेक्ट्रिक सर्किट में कण्ट्रोल सर्किट में Pla Relay का इस्तेमाल होता है।
- विद्युत सर्किट में बिना जुड़े या किसी प्रकार के भी पावर को कंट्रोल करने में सक्षम होती है।
- इसकी कीमत भी बहुत कम होती है, और इसके द्वारा आप विद्युत पावर को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।
- सभी प्रकार के ऑटोमेटिक उपकरणों में रिले इसका इस्तेमाल होता है।
- इन्वर्टर, UPS, DCS, PLC सिस्टम में रिले का उपयोग किया जाता है।
- हमारे घर में उपयोग होने वाले उपकरण लेकिन कुछ ऐसे भी उपकरण हैं जिसमें इसका इस्तेमाल होता है आप लोग अपने घर में electric iron का इस्तेमाल जरुर करते होंगे इसके अंदर Relay का प्रयोग नहीं होता है।
Relay के अंदर कितने volts का पावर सप्लाई किया जाता है-
अगर हम बात करें Relay के अंदर कितने volts का पावर सप्लाई किया जाता है या बात कुल मिलाकर इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस प्रकार का Relay है। रिले के ऊपर उसका वोल्टेज रेटिंग और करंट कैपेसिटी के साथ NO, NC की पूरी डिटेल होती है। रिले का ओपरेशन वोल्टेज हमारी जरूरियात पर भी निर्भर करता है।
वैसे रिले एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। इसे पावर सप्लाई की जरुरत पड़ती है। यह AC ( अल्टेरनेटिंग करंट ) और DC ( डायरेक्ट करंट ) दोनों में उपलब्ध होती है। इसका वोल्टेज रेटिंग 5V,12V, 24V, 48V, 110V और 230 वाल्ट तक रहता है। ये वोल्टेज रिले की कएल को मिलता है, तब रिले ऑपरेट होती है।
रिले के का एम्पेयर रेटिंग अलग होता है। यह मिली एम्पेयर से एम्पेयर की रेटिंग हमारी जरुरत के अनुशार सेलेलक्शन किया जाता है। रिले में उपयोग होने वाले कांटेक्ट से कितना लोड जा सकता है, इसके आधार पर एम्पेयर की क्षमता होती है।
Relay के लाभ क्या है-
- Relay सर्किट को ऑन या ऑफ कर सकते हैं, ऑटोमैटिक तरीके से।
- सर्किट को बचाने के लिए लिए रिले सक्रिय होकर बाहर से आ रहा अधिक विधुत धारा को नियंत्रित या उसे रोक देता है। जिससे सर्किट को आसानी से बचाया जा सकता है क्योंकि अगर हम Relay का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो पूरा सर्किट ही जलकर राख हो जाएगा ।
- रिले एक तरह से फ्यूज की तरह भी काम करता है सर्किट की रक्षा करता है।
- रिले टेक्नोलॉजी के साथ प्रोटेक्शन भी देता है।
- कीमत में बहुत सस्ता होता है।
ट्रांसफार्मर प्रोटेक्शन के लिए कोनसी रिले होती है ? ट्रांसफार्मर के प्रोटेक्शन
ट्रांसफार्मर में प्रोटेक्शन होना बहुत जरुरी है। ट्रांसफार्मर की कैपेसिटी के आधार पर प्रोटेक्शन दिए जाते है। अलग – अलग प्रोटेक्शन के लिए अलग – अलग रिले दिए जाते है। जो निन्मलिखित है।
1 – ओवर लोड रिले
2- डिफरेंशल प्रोटेक्शन रिले
3- अर्थ फाल्ट प्रोटेक्शन रिले
4- शार्ट सर्किट प्रोटेक्शन रिले
5 – ओवर अंडर वाल्टज रिले
6- बुचोल्ज रिले
Over Load Relay
ओवर लोड रिले का उपयोग लगभग सभी प्रकार के उपकरण में होता है। डोमेस्टिक हो या इंडस्ट्रीज ये रिले सभी जगह इस्तेमाल होती है। ओवर लोड नाम से हम समाज सकते है की, क्षमता से ज्यादा लोड । यहाँ हम इलेक्ट्रिकल लोड की बात कर रहे है।
हरेक उपकरण की लोड कैपेसिटी होती है। कैपेसिटी से ज्यादा लोड पसार होगा तो, यह यह उपकरण ओवर लोड होगा और जल जायेगा। उपकरण को अपने लोड की क्षमता पर रोकने का काम ओवर लोड रिले करता है।
रिले की सेटिंग मोटर की क्षमता के आधार पर होती है। क्षमता से ज्यादा करंट पास होगा तो रिले पावर को बंध करने का कमांड देता है। जिससे उपकरण सुरक्षित रहता है।
इसमें bimetal और डिजिटल दोनों प्रकार की रिले होती है।
Buchholz Relay क्या है ?
Buchholz Relay का प्रयोग ट्रांसफार्मर के इंटरनल प्रोटेक्शन के लिए किया जाता है। ट्रांसफार्मर विद्युत का हदय है। ये 24/7 विद्युत से जुड़ा रहता है। इसमें वाइंडिंग और आयल होता है।
ट्रांसफार्मर में कोई अब्नोर्मलिटी होती है तो, इसके रक्षण के लिए इसमें Buchholz Relay का उपयोग किया जाता है। बुचोल्ज रिले में मर्क्युरी स्विच के कांटेक्ट रहता है। ट्रांसफार्मर में यदि कोई फाल्ट होता है तो आयल गरम होता है। साथ में गैस उत्पन्न होता और इसका प्रेसर बनता है। यह प्रेसर से मर्क्युरी के कांटेक्ट चेंज होते है।
बुचोल्ज रिले के कांटेक्ट से ब्रेकर को कमांड मिलता है। और ब्रेकर ट्रिप होने से पावर सप्लाई बंध हो जाता है।
Buchholz Relay ट्रांसफार्मर को इंटरनल प्रोटेक्शन देता है। जब transformer में धीरे-धीरे से fault उत्पन्न हो रहा होता है तब buchholz relay alarm देता है | और साथी साथ ट्रांसफार्मर की सप्लाई को बंद कर देता है।
Buchholz Relay उपयोग कहां कहां किया जाता है-
Buchholz relay का उपयोग ट्रांसफॉमर में किया जाता है। ये रिले की रचना ट्रांसफार्मर के इंटरनल प्रोटेक्शन के लिए ही की गयी है। रिले में दो कांटेक्ट होता है। पहला कांटेक्ट अलार्म का होता है। और दूसरा कांटेक्ट ट्रिप का होता है।
अलार्म हमें सचेत करता है की ट्रांसफार्मर में कोई प्रोब्लेम है। समय रहते इसे isolate किया जाता है। दूसरा कांटेक्ट ट्रिप का होता है जो ट्रांसफार्मर का पावर बंध कर देता है।
Buchholz Relay के लाभ क्या है-
- Transformer की सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल सबसे अधिक होता है
- ट्रांसफॉर्मर अंदर अगर कोई भी गड़बड़ी शुरुआती समय में आती है तो इसका पता या तुरंत लगा देता है। और ट्रांसफार्मर की सुरक्षा करता है।
- समस्या का पता चलते ही ब्रेकडाउन नहीं होता। सिस्टम को दूसरी तरफ से कनेक्ट किया जाता है।
- इलेक्ट्रिकल में ट्रांसफार्मर का फैलियर बहुत बड़ी चीज होती है। इसे फ़ैल होने से बुचोल्ज रिले बचाता है।
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What is Relay in Hindi के इस आर्टिकल में रिले से सम्बंधित जानकारी साजा की है। फिर भी यदि रिले से सम्बंधित कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में लिख सकता है।