नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं what is bearing and types हम सब ने बचपन में साइकिल चलाई होगी इसके अलावा कई लोग तो जवानी के दिनों में भी साइकिल का इस्तेमाल करते हैं आप लोगों ने देखा होगा कि साइकिल के पहियों को चलाने के लिए पहियों के बीच जो मशीन लगी रहती है उसे हम लोग bearing कहते हैं ।
टेक्निकल स्टूडेंट के मन में सवाल आएगा कि आखिर में bearing होता क्या है ? और यह कितने प्रकार का होता है? अगर आप इसके बारे में बिल्कुल नहीं जानते हैं, विशेष जानना चाहते है, तो आप बिलकुल सही जगह पर है। आज आपको इस आर्टिकल What is bearing and types के माध्यम विस्तृत जानकारी मिलेगी।
What is bearing and types- बेअरिंग क्या है ? कितने प्रकार है ?
Bearing की परिभाषा क्या है-
दोस्तों अगर हम टेक्निकल भाषा में bearing की परिभाषा की बात करें तो bearing एक प्रकार का मशीन तत्व है जो मशीन के दो या अधिक भागों के बीच कम से कम घर्षण के साथ सापेक्ष गति (रेखीय गति या घूर्णन गति) की सुविधा प्रदान करती उसे हम लोग bearing कहते हैं I
Bearing होता क्या है
बेरिंग एक ऐसा मशीन युक्त ऐसा यंत्र है है इसके द्वारा पावर को ट्रांसफर करने के उद्देश्य से किसी भी मशीन के अंदर लगाया जाता है इसका प्रमुख काम दो मशीनों के बीच घर्षण के दर को कम करना है। आसान भाषा में समझे तो अगर कोई भी साइकिल आपके पास है और उसे अगर आप चलाना चाहते हैं तो उसके अंदर अगर बेयरिंग नहीं होगी तो आपको साइकिल को कभी भी चला नहीं पाएंगे क्योंकि साइकिल को चलाने के लिए bearing की जरूरत पड़ती है तभी तो साइकिल का पहिया चल पाएगा
Types of Bearing – बेअरिंग के प्रकार
बेअरिंग मैकेनिकल फील्ड में महत्व का भाग है। किसी भी मशीनरी को सुचारु रूप से चलाने के लिए बेअरिंग का इस्तेमाल होता है। बेअरिंग की रचना एवं उपयोग करने की पद्धति के आधार पर उसके अलग – अलग प्रकार होते है। यहाँ सभी प्रकार की बेअरिंग की विस्तृत जानकारी दी गयी है। Bearing मुख्य तौर पर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।
Plain Bearing
Plain bearing को सबसे सरल बेयरिंग कहा जाता है इसका सबसे प्रमुख कारण है कि इसमें किसी प्रकार का rolling elements नहीं पाया जाता है इस बेयरिंग को हम लोग स्लाइडिंग बेयरिंग या स्लाइड बेयरिंग के नाम से भी जानते हैं
यह मुख्य तौर पर तीन प्रकार का होता है जिसका विवरण में आपको नीचे बिंदु अनुसार दूंगा-
- Integral Bearing
- Bushing Bearing
- Two piece bearing
Rolling Element Bearing
इस प्रकार के बेयरिंग में रोलिंग एलिमेंट का इस्तेमाल किया जाता है तभी जाकर दो मशीनों के बीच मे ताकि load को अच्छी तरह से carry किया जा सकेगा rolling elements bearing कई प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है जिनका विवरण में आपको नीचे दे रहा हूं-
- cylindrical Rollers,bearing
- Tapered Rollers bearing
- needle Rollers,bearing
- Spherical Rollers bearing
- Balls bearing
Roller जिनका use करके bearing के अंदर rotation कराया जाता है। अलग – अलग रचना एवं उपयोग के आधार पर अलग – अलग प्रकार होते है।
Rolling elements bearing मुख्य तौर पर 2 प्रकार के होते है।
- Ball bearing
- Roller bearing
Ball bearing क्या होता है
Ball bearing का मतलब होता है कि balls उसके बीच में बैरिंग लगा होना ताकि मशीनों के बीच में Rotation की गति सुचारू रूप से संचालित हो सके इस प्रकार के बेरिंग का इस्तेमाल विशेष तौर पर बड़े-बड़े मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में किया जाता है जहां बड़े प्रकार के मशीनों का इस्तेमाल काफी होता है
Types of ball bearing in Hindi
यह 5 प्रकार का होता है जिनका विवरण में आपको नीचे संक्षिप्त में दूंगा-
Ball Bearing
Single row ball bearing
जैसा कि इसके नाम से ही पता चल जाता है कि एक single row के अंदर balls को संचालित करता है। इसमें आउटर और इनर रिंग के अंदर बॉल रहता है। इस प्रकार की बेअरिंग एक दिशामे एक्सियल लोड के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
Double row ball bearing
इस bearing में कुल दो row होती है जहां दोनों row में बॉल्स के अंदर संचालित करता है। उसे हम लोग डबल रोल बॉल bearing कहते हैं। इस प्रकार की बेअरिंग सिंगल रॉ बॉल बेअरिंग की तुलना में ज्यादा लोड पे चल सकती है।
रेडियल और एक्सियल दोनों प्रकार के लोड में डबल रॉ बॉल बेअरिंग का इस्तेमाल होता है।
Angular contact ball bearing
इस प्रकार के bearing के balls का संचालन कुछ angle पर की जाती है । ये इसलिए किया जाता है ताकि bearing Axial load ओर Thrust load दोनो को सहन कर सके। इसलिए हम इसे angular contect ball bearing के नाम से जानते हैं।
angular contect ball बेअरिंग की स्पीड रेडियल प्रकार की बेअरिंग से ज्यादा होती है। इस प्रकार की बेअरिंग में बॉल के द्वारा एक रिंग से दूसरी रिंग में लोड ट्रांसफर होता है।
Thrust ball bearing
ये एक प्रकार की रोटरी बेअरिंग ही होती है। Axis के parallel लगने वाले load को सहन करने के लिए इस प्रकार की bearing का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादा एक्सियल लोड को लॉ स्पीड पे वहां करने के लिए इस प्रकार की बेअरिंग का इस्तेमाल होता है।
ऑटोमेटिव, एरोस्पेस और मरीन में इस प्रकार की बेअरिंग का उपयोग होता है।
Self aligning ball bearing
इस प्रकार की बेअरिंग में बॉल की दो लाइन होती है। Journal load को सहन करने के लिए इस प्रकार की बेयरिंग का उपयोग करते यह काफी हल्के और सस्ते भी होते हैं। इस प्रकार की बेअरिंग में स्माल एक्सियल कैपेसिटी होने के कारण लाइट लोड में इसका इस्तेमाल होता है।
Types of roller bearing in Hindi
Cylindrical roller bearing
इस तरह की bearing में Rolling elements के तौर पर cylinder का उपयोग किया जाता है। ओर ऐसी बेयरिंग में भार उठाने की क्षमता भी ball bearing के मुकाबले अधिक होती है क्यू की इसमें roller का जमीन के साथ सीधा संबंध होता है जबकि बॉल बेयरिंग में point contact होता है।
इस प्रकार की बेअरिंग का उपयोग बहुत सारी जगह पे किया जाता है। जैसे की सीमेंट फैक्ट्री, पेट्रोलियम प्रोडक्शन, पावर जनरेशन, पावर ट्रांसमिशन एवं केमिकल इंडस्ट्रीज में इस प्रकार की बेअरिंग का इस्तेमाल होता है।
Spherical roller bearing
इस तरह के बेयरिंग के अंदर rolling element के तौर पे spherical roller का उपयोग किया जाता है।
इस तरह के बेयरिंग का प्रयोग gear box या फिर drilling or mining जैसे क्षेत्र में किया जाता है । क्योंकि यह काफी भारी भरकम मशीनी यंत्र होते हैं इसलिए इसमें इस प्रकार के बैरिंग का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार की बेअरिंग ड्राई एरिया में 2 लाख घंटे तक आउट पूत दे सकती है। और दूसरी जगह पे यह बेअरिंग से 1.2 लाख घंटे तक आउट पूत मिल सकता है।
Needle roller bearing
इस तरह के बेयरिंग में Cylindrical Roller का उपयोग किया जाता है । इस Cylindrical Roller कि लंबाई सिलेंडर के diameter से 4× ज्यादा होती है । ओर इस प्रकार की bearing मे जमीनी संपर्क क्षेत्र भी ज्यादा होता है जिसके कारण वो ज्यादा से ज्यादा भार वहन कर सके। Needle bearing का इस्तेमाल पंप या compressor जैसे यंत्रों में किया जाता है ।
गियर बॉक्स, ले शाफ़्ट, फर्स्ट मोशन शाफ़्ट, तवो और फोर स्टॉक इंजन में इस प्रकार के बेअरिंग का इस्तेमाल होता है।
Taper roller Bearing
इस प्रकार की बेयरिंग में roller का संचालन कुछ angle पर की जाती है, जिसके कारण इसके rollers थोड़े झुके होने के कारण इस बेयरिंग को Taper Roller bearing नाम दिया गया इस प्रकार के bearing का इस्तेमाल माल carry वाले गाड़ियां और कारों में किया जाता है I
जहा ज्यादा वर्टिकल एवं हॉरिजॉन्टल लोड रहता है, वहां इस प्रकार की बेअरिंग का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार की बेअरिंग से हाई स्पीड और हैवी ड्यूटी में भी अच्छा आउट पूत प्रदान होता है।
Gear bearing:-
इस प्रकार की bearing में अंडाकार आकार के gear जैसी व्यवस्था कि जाती है। इसके पीछे का कारण यह है कि इसी shape वाले gear कि काम करने क्षमता ज्यादा होती है। ओर इससे स्लाइडिंग friction भी कम होता है।
Fluid bearing:-
इस तरह की bearing को ख़ास तरह की bearing के रूप में जाना जाता है । इसका प्रमुख कारण है कि यहां पर एक विशेष प्रकार का fluid का इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए हम लोग इसे fluid bearing कहते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है कि इसमें किसी प्रकार कोई फिसलने वाला घर्षण, घिसाव या कोई कंपन नहीं होता है।
जहा ज्यादा लोड और ज्यादा स्पीड है, ऐसी जगह पे इस प्रकार की बेअरिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
Fluid bearing भी कुल 2 प्रकार के होते है।
Hydrodynamic fluid bearing
Hydrostatic fluid bearing
Fluid Bearing
Hydrodynamic fluid bearing
इस प्रकार का बेयरिंग शाफ्ट के उस भाग पर निर्भर करता जहां पर fluid रहता है ताकि surface बीच fluid के ऊपर प्रेशर डाला जा सके इस प्रकार के बियरिंग का उपयोग आमतौर पर इलेक्ट्रिक मोटर्स, हाइड्रोइलेक्ट्रिक जनरेटर, कूलिंग पंप आदि में किया जाता है।
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Hydrostatic fluid
Hydrostatic fluid bearing की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे कम गति पर भारी भार को carry सकते हैं। वे अधिक टिकाऊ और अच्छे बियरिंग हैं, और इसलिए, इस प्रकार के बेरिंग का जीवनकाल काफी लंबा होता है और इनका प्रदर्शन भी काफी अच्छा रहता है एक और फायदा यह है कि वे बहुत कम घर्षण देते हैं।
Magnetic Bearing
Magnetic Bearing चुंबकीय bearing बहुत ही विशेष प्रकार की bearing होती है इसकी सबसे बड़ी खासियत या है कि आप किसी भी shaft को बिना किसी फिजिकल कांटेक्ट के काफी तेजी के साथ संचालित करती है।
इसका इस्तेमाल विशेष तौर पर कंप्रेसर, टर्बाइन, पंप, मोटर, साथ ही जनरेटर जैसे यंत्रों में, चुंबकीय बीयरिंग का उपयोग करते हैं यह मुख्य तौर पर दो प्रकार का होता है जिनका विवरण में आपको नीचे दे रहा हूं जो इस प्रकार है-
Active magnetic bearing –
इस प्रकार की बेअरिंग में मैग्नेटिक फोर्स से ही पदार्थ को सपोर्ट दिया जाता है। इस में नॉन कांटेक्ट सपोर्ट में ही ज्यादातर आउटपुट मिलता है।
इस प्रकार का bearing चलाने के लिए लगातार मैग्नेट पावर की आवश्यकता होती है और इसमें लगातार विद्युत उत्पन्न करना पड़ता है तभी जाकर इस प्रकार का bearing संचालित हो पाएगा
Passive Magnetic Bearing–
Passive Magnetic Bearing एक प्रकार का ऐसा bearing जिसे चलाने के लिए लगातार विद्युत की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि इसमें अस्थाई चुंबक शक्ति उत्पन्न हो जाता है और उस के माध्यम से ही इस प्रकार का बैरिंग संचालित होते रहता है।
इस प्रकार के बेअरिंग में एक्टुएटर, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और कएल की जरुरत नहीं होती। इसीलिए Passive Magnetic Bearing( PMB) कीमत में सस्ता होता है।
Composite bearing:-
इस तरह की बेयरिंग को self lubrication pinner के साथ ओर laminated metal support के साथ design किया जाता है।
इन bearing का ज्यादातर इस्तेमाल अधिक temperature वाले Area में किया जाता है। इस प्रकार के bearing को बनाने के लिए कम से कम धातु तत्व का प्रयोग किया जाता है I
Bearing की प्रमुख विशेषताएं क्या है-
- Bearing तथा पार्ट्स के साथ घर्षण कम से कम होना चाहिए।
- Bearing पार्ट्स को सही स्थिति में संचालित करने में सक्षम होना चाहिए।
- Bearing कंपन रहित तथा स्थिर आधार देने में सक्षम होना चाहिए। ताकि मशीन अच्छी तरह से संचालित हो सके।
- बियरिंग मशीन द्वारा जिस प्रकार का load उत्पन्न हो उसे सहने में सक्षम होता है।
- मशीन में लगे पार्ट्स व मशीन की गति के अनुरूप बियरिंग का चुनाव करना चाहिए।
- बियरिंग मशीन के पार्ट्स को अधिक गति पर घुमाने में सक्षम होता है इसे मशीन का संचालन काफी तेजी और अच्छी तरह हो पाता है।
- बियरिंग झटके व कंपन को सहन करने योग्य तथा कम पावर यूज करने वाले होने चाहिए ।
Conclusions- उम्मीद करता हूं कि आपको समझ में आ गया होगा What is bearing and types इसके बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल है तो मेरे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।