Solar Energy in Hindi के इस आर्टिकल में सोलार सिस्टम से जुड़े तमाम पॉइंट को कवर करने की कोशिश की है। यदि आप सौर ऊर्जा से बिजली जनरेट करना चाहते हो, या सोलर सिस्टम लगाना चाहते हो, तो आपके लिए ये आर्टिकल जरुर मदद रूप होगा।
What is Solar Energy
सर्य प्रकाश से मिलने वाली एनर्जी को सोलर एनर्जी कहते है। सोलर पैनल सूर्यप्रकाश को एनर्जी में कन्वर्ट करता है। ये एनर्जी का उपयोग विजली उत्पन्न करने के लिए होता है। प्रकाश उत्पन्न करने के लिए होता है। पानी गरम करने के लिए होता है। बढ़ते पॉल्युशन के चलते आज सोलर एनर्जी का उपयोग अनिवार्य हो गया है।
Solar Energy Definition
कोई भी ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता है। सोलार ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से मिलती है। सूर्य का प्रकाश (सूर्य के किरण) सोलर पैनल पे गिरते है।
सोलर पैनल में सोलर सेल होते है जो सूर्य की ऊर्जा को प्रयोग करने लायक बनाते है। इस ऊर्जा को विध्युत और उष्मा में परिवर्तित कर अन्य प्रयोगो में लाया जाता है। और हमारी जरुरत के हिसाब से हम इसका इस्तेमाल करते है।
सौर ऊर्जा का प्रयोग / उपयोग
1 – पानी गरम करने के लिए किया जाता है।
2 – खाना पकाने के लिए किया जाता है।
3 – अनाज को सुखाने में किया जाता है।
4 – विध्युत उत्पादन में किया जाता है।
5 – कार और वायुयानों में प्रयोग किया जाता है।
हमारे देश की आबादी और लोगो की जरूरियात दिन ब दिन बढ़ती जाती है। इसीलिए आज के समय में सोलार ऊर्जा से विध्युत का उत्तप्पादन बहुत जरुरी है।
सोलर एनर्जी में प्रकाश ऊर्जा को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में कन्वर्ट करके हमें इलेक्ट्रिसिटी के रुप में प्रदान करता है। ऊर्जा का ये रूप साफ और प्रदुषण रहित होता है।
Solar System In Hindi
सोलर पावर सिस्टम से पैसे बचाये-
हर एक व्यक्ति पैसे बचाने के बारेमे जरूर सोचता है। एक फॅमिली मेंबर के लिए पैसे बचाने ने का ये उत्तम तरीका है।
हमारी बिजली की खपत दिन ब दिन बढ़ती जाती है। सरकार की तरफ से मिलने वाली बिजली के दाम भी डिमांड ज्यादा होने से बढ़ता रहता है।
हर महीने या दो महीने आने वाला बिजली का बिल जरूर हमें सोचने के लिए मजबूर करता है की इसको कैसे कम किया जाये।
सोलर एनर्जी प्रणाली से हम पैसा जरूर बचता है। इस सिस्टम को लगाने में खर्च होता है। पर ये खर्च हमें ३ से ४ साल के अंदर ही मिल जाता है। याने इस सिस्टम का पे बैक पीरियड ३ से ४ साल का होता है।
हम इसका इस्तेमाल सालो तक कर सकते है। वैसे सोलर पैनल की वारन्टी भी २५ सालो की होती है।
हमारे घर के लिए कोनसी सोलर सिस्टम अच्छी रहेगी ? Solar System For Home
सोलर पावर सिस्टम दो प्रकार के होते है। ऑफ ग्रीड सोलर सिस्टम और ग्रीड कनेक्ट सोलर सिस्टम, दोनों को विस्तार से समझते है।
1 – ऑफ़ ग्रिड सोलर पावर सिस्टम- Off Greed Solar Power System
इस प्रकार की सिस्टम यदि हम पावर बैकअप चाहते हे वहा के लिए है। जहा बिजली की समस्या ज्यादा रहती हो। लगातार पावर का आनाजाना रहता हो ऐसे जगह के लिए ये सिस्टम कारगर है।
इस प्रकार की सिस्टम में सोलार पैनल, इन्वर्टर बैटरी और MPPT चार्ज कंट्रोलर लगता है। इसमें सोलर पैनल का काम प्रकाश को बिजली में परिवर्तित करने का होता है। चार्ज कंट्रोलर का काम है इलेक्ट्रिसिटी को कण्ट्रोल करना और सही मात्रा में बैटरी को देना। बैटरी की पूरी सुरक्षा ये कंट्रोलर ही करता है।
बैटरी का काम इलेक्ट्रिसिटी का स्टोरेज करना है। जो भी इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होक बैटरी को मिलती है उसे बैटरी स्टोर करती है।
इन्वर्टर का मुख्य काम DC को AC में कन्वर्ट करने का है। बैटरी में जो पावर चार्ज है वो DC है। उसे AC में कन्वर्ट करके घर के उपकरणों को चलाने के लिए सप्लाई करता है।
ये पूरा सिस्टम बैटरी के साथ आता है इसीलिए इसका सही इस्तेमाल पावर फ़ैल होने पर ही होता है।
इसमें बैटरी और कंट्रोलर होने के कारण ये कीमत में भी मेहगा रहता है। इसमें नियमित रखरखाव की भी आवश्यकता रहती है। आमतौर पे बैटरी की लाइफ 4 से 5 साल रहती है उसके बाद बदलना पड़ता है।
2 – ग्रिड कनेक्ट सोलर पावर सिस्टम- Greed Connect Solar Power System.
जब भी लाइट बिल हमारे हाथो आता तब ये सोचते है की बिजली के बिल को कम करना है। हम चाहते की बिजली के बिल को कम करना है, पैसो की बचत करनी है। तो ग्रिड कनेक्ट सोलर पावर सिस्टम बेहतरीन है।
ये सिस्टम से हम बिजली का बिल जीरो भी कर सकते है। और सरप्लस बिजली देके कुछ रिबेट भी ले सकते है।
इस प्रकार की सिस्टम ग्रिड से जुडी रहती है। इसमें बैटरी का इस्तेमाल नहीं होता। हमारे घर पे लगाए गए सोलर पैनल से बिजली का उत्त्पादन होता है। और हमारे घर के उपकरणों में उसका उपयोग होता है।
सिस्टम ग्रिड के साथ कनेक्ट होती है। इसीलिए यदि हमारे घर पे बिजली का उत्त्पादन कम होता है तो ग्रिड से पावर की पूर्ति होती है। यदि हमारे सिस्टम में बिजली का उत्त्पादन ज्यादा है तो, बिजली वितरण कंपनी को बेच दिया जाता है। जो हमें पैसो के रूप में मिल जाता है।
इस प्रकार की प्रणाली में एक मीटर और इन्वर्टर होता है। ये कीमत में सस्ता होता है। पर यदि पावर फ़ैल की समस्या ज्यादा है तो ये सिस्टम का आउटपुट ठीक से नहीं मिलेगा। क्युकी हमारा सिस्टम पॉवर जनरेट करता है पर ग्रिड फ़ैल है तो पावर वेस्ट हो जायेगा।
सोलर सिस्टम का मेंटेनन्स कैसे करे- Solar Maintenance
उपकरण की कार्यक्षमता बनाये रखने के लिए उसका रखरखाव बहुत जरुरी है। सोलर सिस्टम में मेंटेनन्स के नाम पे सोलर पैनल को साफ सुथरा रखना है। वैसे सोलर पैनल 25 साल की वारन्टी के साथ मिलती है।
सोलर पैनल में ज्यादा मेंटेनन्स का काम नहीं होता। पर ये सालो तक चलने वाली प्रणाली है। इसीलिए इसे मेन्टेन रखना जरुरी है। सोलर पैनल पे धूल जमा नहीं होनी चाहिए। धूल जमा होने से आउटपुट कम हो जाता है। इसे नियमित रुप से पानी से और कपडे से साफ करना चाहिए।
बैटरी भी मेंटेनन्स फ्री मिलती है। इसीलिए उसमे भी कोई ज्यादा मेंटेनन्स नहीं रहता। समयांतर पे बैटरी के कनेक्शन चेक कर लेने चाहिए।
सोलार सिस्टम लगाने के लिए सरकार से कितनी सब्सिडी मिलती है ?
भारत की सरकार सोलर पावर सिस्टम में काफी रुचि दिखा रही है। इसीलिए इसमें सब्सिडी भी अच्छी दे रही है। सरकार की तरफ से 30% से लेके 70% तक सब्सिडी मिलती है।
अलग-अलग राज्य में क्राइटेरिया अलग-अलग है। सरकारी माहिती के अनुसार हरएक राज्य की अलग website है। वहा से हमें सोलर पावर से सम्बंधित पूरी माहिती मिल सकती है।
हरएक राज्य में प्राइवेट एजन्सीज़ है। जो सोलर सिस्टम इंस्टालेशन का काम करती है। उसे इंस्टालेशन का काम देने से पहले website से पूरी माहिती लेनी चाहिए उसके बाद ही काम देना चाहिए।
सोलार सिस्टम की सब्सिडी के लिए क्या करे- Solar Subsidy
हरएक राज्य में राज्य सरकार द्वारा सोलार सिस्टम एजेंसी गठित की गयी है। सब्सिडी के लिए हमें राज्य सरकार की इस ऊर्जा विकास एजेंसी का संपर्क करना पड़ता है।
गुजरात में ये एजेंसी गेड़ा (GEDA) गुजरात ऊर्जा विकास एजेंसी के नाम से है। महाराष्ट्र में ये मेडा (MEDA) महाराष्ट्र ऊर्जा विकास एजेंसी के नाम से है। ऐसे सभी राज्य में ऊर्जा विकास एजेंसी स्थापित की गयी है।
सब्सिडी प्राप्त करने के लिए राज्य ऊर्जा विकास एजेंसी में एक फॉर्म होता है। इस फॉर्म में जो भी डिटेल मांगी गयी है उसे भरना है। इसके लिए हम सिस्टम लगाने वाले की मदद ले सकते है। क्युकी वो अपने अनुभव के हिसाब से टेक्निकल डिटेल का विवरण भी दे सकता है।
इस फॉर्म को भरने के बाद राज्य ऊर्जा विकास एजेंसी में सबमिट करना रहता है। नोडल एजेंसी चेक करने के बाद भारत सरकार द्वारा बनायीं गयी एजेंसी एम्एनआरइ में भेज देते है।
जहा हमारे आवेदन का फाइनल चेक अप होता है। वहा से मंजूर होने के बाद सब्सिडी की कार्य वाही आगे बढ़ती है।
भारत सरकार की वेबसाइट https://mnre.gov.in/ जहा से हम विस्तार से माहिती ले सकते है।
हर राज्य में सोलर सिस्टम सब्सिडी के लिए लम्बी कतार है। यदि हम इसके लिए इंतजार करते है तो इसमें ज्यादा समय लग सकता है।
सब्सिडी लेने के लिए सोलार पैनल हमारे देश की बनावट होनी चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
Solar Power System Price per kw
Solar Capacity | Solar System Coast | Center Gov. Subsydy | State Gov. Subsidy | Final Price | Area in Sq. ft |
1 KW | 48,300 | 14,490 | 10,000 | 23,810 | 100 sq.ft. |
2 KW | 96,600 | 28,880 | 20,000 | 47,620 | 200 sq.ft. |
3 KW | 1,44,900 | 43,470 | 20,000 | 81,430 | 300 sq.ft |
4 KW | 1,93,200 | 57,680 | 20,000 | 1,15,240 | 400 sq.ft. |
5 KW | 2,41,500 | 72,450 | 20,000 | 1,49,050 | 500 sq.ft. |
सोलार पैनल इंस्टालेशन से पहले विज कंपनी की अनुमति – Solar panel Information In Hindi
सोलर ग्रिड सिस्टम लगाने से पहले बिजली कंपनी की अनुमति आवश्यक है। क्युकी, हमें अतिरिक्त बिजली का दाम लेना है। बिजली वितरण कप्म्पनीमें एक यूनिट का चार्ज फिक्स होता है। यदि हमारी खपत से ज्यादा यूनिट जनरेट करेंगे तो बिजली कंपनी हम जो सिस्टम लगाते है उसका पूरा स्पेसिफिकेशन एक फॉर्म भर के देना है।
बिजली कंपनी हमारे साथ सहमति करार करेगी। जिसमे बिजली कंपनी की बहुत सारी शर्ते भी होती है। उसी शर्तो को ध्यान में रखके हमें उसका उपयोग करना पड़ता है।
सिस्टम लगाने के बाद विज कंपनी के साथ पावर परचेस अमेंडमेंट होता है। (पी पी ए हस्ताक्षर होता है) उसके बाद विज कंपनी पुराना मीटर की जगह पे नेट मीटर लगाती है। यही मीटर के आधार पे हमारा यूनिट जनरेशन और कन्सुम्प्शन मिलता है।
उदाहरण के तोर पे … यदि हमारा सोलर प्लांट रोज के पांच यूनिट जनरेट करता है,और हमारी खपत तीन यूनिट है तो दो यूनिट के पैसे विज कंपनी हमें भुक्तान करेगी। पुरे साल का जनेरेशन देख के ये रिबेट साल में एक बार मिलती है।
- 1 kw का सोलार पैनल एक साल में करीब 1300 से 1400 यूनिट जनरेट करता है।
- 3 kw का सोलार पैनल सिस्टम साल में करीब 4000 यूनिट जनरेट करता है। एक यूनिट का चार्ज 7 रूपया गिने तो 7*4000 = इसमें पे बैक पीरियड बहुत कम है। इसके बाद बचत भी अच्छी होती है।
इंटरव्यू में जाने से पहले इसे एक बार जरुर पढ़े – Tips
सोलार सिस्टम के लाभ – Advantage of Solar System
1 – सोलर पावर Renewable एनर्जी है।
2 – इलेक्ट्रिसिटी का बिल कम करता है।
3 – अलग अलग एप्लीकेशन में उपयोग किया जाता है।
4 – बहुत कम मेंटेनन्स की जरुरत होती है।
5 – किसी तरह का पोल्लुशन नहीं होता।
सोलार सिस्टम के गेरलाभ – Disadvantage of Solar System
1 -सिस्टम लगाने की शरुआत की कोस्ट ज्यादा होती है।
2 -सूर्य प्रकाश से आउटपुट मिलता है,इसीलिए वातावरण पे आधार रखता है।
3 -सोलार एनर्जी स्टोरेज करना ज्यादा खर्चीला है।
4 -पैनल लगाने के लिए ज्यादा जगह चाहिए।
5 -रात को बिजली का उत्त्पादन नहीं कर सकते।
कुल मिलाके सोलर सिस्टम लगाना फायदे का सौदा है। इसे लगाके हम सिर्फ पैसे ही नहीं बचाते बल्कि पोल्लुशण कण्ट्रोल करने में भी हमारा योगदान रहेगा। Solar Energy in Hindi के इस आर्टिकल सोलर सिस्टम लगाने वाले को जरूर मदद करेगा।
यदि आप SOLAR SYSTEM लगाना चाहते हे। और इसके बारेमे आपको कोई कन्फूशन है,तो Solar Energy in Hindi के इस आर्टिकल के कमेंट बॉक्स में लिख सकते हो। में जरूर मदद करूँगा।