विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कौन सा है | Pratham Vishwavidyalaya Kaha Hai
हर स्कूली बच्चे का सपना होता है कि, 12वीं पास करने के बाद वह किसी अच्छे कॉलेज यानी विश्वविद्यालय में दाखिला लें। क्योंकि विश्वविद्यालय ही सांसारिक जीवन की नींव होती है। विश्वविद्यालय की शिक्षा पूरी होने के बाद गृहस्थ जीवन की शुरुआत होती है। यहीं से नौकरी और अन्य व्यवसाय किए जाने की सोच युवाओं के मन में ऊभरती है। इसी क्रम में हम आज विश्व के पहले विश्वविद्यालय के विषय में विस्तार से जानेंगे। पोस्ट के जरिए हम आपकों बताएंगे कि, विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कौन सा है | Pratham Vishwavidyalaya Kaha Hai. विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कहां पर स्थित है।
विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कौन सा है?
दोस्तों बहुत ही कम लोगों काे पता होगा कि,विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय भारत में ही बना था। विश्व के प्रथम विश्वविद्यालय का नाम तक्षशिला विश्वविद्यालय था जो 700 वर्ष ईसा पूर्व बना था या विश्वविद्यालय आज भी है।
विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कहां पर है?
विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी जिले की एक तहसील है।
तक्षशिला विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति कौन था?
तक्षशिला (पाली: तक्षशिला) गांधार देश की राजधानी थी और प्राचीन भारत में शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। यहां का विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में शामिल है। यह हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए महत्व का केंद्र था। चाणक्य यहाँ के आचार्य थे।
तक्षशिला के संस्थापक कौन है?
महाभारत में राजा जनमेजय के नाग सर्प के संहार के लिए आयोजित यज्ञ से संबंधित कथा में तक्षशिला का उल्लेख मिलता है। वहीं रामायण में कहा गया है कि तक्षशिला की स्थापना राम के छोटे भाई भरत ने अपने पुत्र तक्ष के नाम पर की थी। तक्ष इस महान भूमि का पहला शासक था।
प्राचीन काल में तक्षशिला नालंदा की प्रसिद्धि के क्या कारण थे?
प्राचीन काल में तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय की प्रसिद्धि का कारण यह था कि प्राचीन काल में तक्षशिला और नालंदा विश्व स्तर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय थे। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। जहां दूर-दूर से विद्यार्थी पढ़ने आते थे।
प्रथम विश्वविद्यालय से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें-
- आयुर्वेद के महान विद्वान चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा प्राप्त की थी।
- बौद्ध धर्म की महायान शाखा का विकास तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही मिलता है।
- सिकंदर के आक्रमण के समय यह विद्यापीठ अपने दार्शनिकों के लिए प्रसिद्ध था।
- सातवीं शताब्दी में जब ह्वेनसांग दर्शन के लिए आया, तब तक उसकी भव्यता लगभग समाप्त हो चुकी थी।
कोसल के राजा प्रसेनजित के पुत्र और बिंबिसार के राजवैद्य जीवक ने तक्षशिला में ही चट्टान की खोज की थी। - ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में यह राजगृह, काशी और मिथिला के विद्वानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।