हरित क्रांति के जनक कौन है? | Harit Kranti ke Janak Kaun hai?
आवश्यकता ही किसी भी आविष्कार की जननी होती है। शीत युद्ध के बाद जब पूरे संसार में भूखमरी फैलने लगी थी, उस दौर में यह अनाज की आवश्यकता महसूस हुई, जिसके बाद हरित क्रांति की खोज की गई। जिससे लोगों के पेट की भूख को मिटाया जा सके।
हालांकि वर्तमान में यह कहना गलत होगा कि, कोई भी इंसान भूखमरी से जूझ रहा हो। पूरे विश्व में 95% आबादी को आज पेट भर भोजन मिलता है। इसका पूरा श्रेय हरित क्रांति के जनक को जाता है।
अब आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि, हरित क्रांति क्या है? हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई? harit kranti ke janak kaun hai हरित क्रांति क्यों शुरू हुई? हरित क्रांति के फायदे क्या है? यह सभी सवाल आपके मन में उछल कूद कर रहे होंगे। तो अपने दिमाग को आराम करने का कह दीजिए, क्योंकि आज के पोस्ट में हम आपके सभी जिज्ञासू सवालों के जवाब देंगे। तो चलिए देर ना करते हुए शुरू करते हैं और जानते हैं कि harit kranti ke janak kaun hai
हरित क्रांति क्या है? | Harit Kranti kya hai
मित्रों हरित क्रांति जिसे Green Revolution या तीसरी कृषि क्रांति के नाम से जाना जाता है, यह एक दौरा समय था जिस समय शीत युद्ध के पश्चात पूरे संसार में लोग भूखमरी से मरने लगे थे। भूख के कारण असंख्य लोग अपनी जान गंवा चुके थे।
उस समय कृषि पद्धिति इतनी विकसित नहीं थी कि लोगों को कम समय में अधिक अनाज की आपूर्ति कर सके। इसलिए कुछ ऐसे बड़े कदम किए गए जिसमें टेक्नोलॉजी और विज्ञान को हर प्रकार से छोड़ा गया।
पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरागत कृषि तकनीक को छोड़कर नवीन कृषि तकनीक को अपनाया गया, और पूरी पृथ्वी पर लोगों को शीघ्रता से भोजन की उपलब्धि करवाई गई। ऐसा करके कृषि करने के नए-नए तरीके खोजे गए जिससे कम समय में अधिक से अधिक भोजन का उत्पादन किया जा सका। जिसका नतीजा यह है कि, भारत आज कृषि प्रधान देश बनकर खड़ा हो चुका है।
हरित क्रांति के जनक कौन है? | Harit Kranti ke Janak Kaun hai?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरित क्रांति के जनक के रूप में नॉर्मन बोरलॉग को माना जाता था। नॉरमन बोरलॉग एक महान कृषि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने विज्ञान और कृषि की मदद से कम समय में बेहतर तथा अधिक अनाज का उत्पादन किया, और हरित क्रांति का नेतृत्व किया। यह एक महान कृषक नेता के रूप में दुनिया के सामने आए।
नॉर्मन बोरलॉग का जन्म 25 मार्च 1914 को क्रेस्को आईवा में हुआ था, और उनकी मृत्यु 12 सितंबर 2009 में टेक्सास की डलोर्स में हुई। नॉरमन बोरलॉग को 1970 में नोबेल पीस प्राइज मिला था, तथा 1977 में Presidential medal for Freedom प्राप्त हुआ। इनकी मौत के तीन माह पूर्व साल 2006 में भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया। राष्ट्रीय स्तर पर हरित क्रांति के जनक के रूप में अभिषेक भूषण को हरित क्रांति का जनक माना जाने लगा।
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हरित क्रांति के महत्वपूर्ण तत्त्व क्या थे?
हरित क्रांति के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण तत्व शामिल किए गए जिसमें-
- नवीनतम कृषि तकनीक का उपयोग तथा पूंजीगत साधनों का इस्तेमाल किया गया।
- खेती के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके अपनाए गए।
- बीजों को अधिक उपज देने वाली किस्म के रूप में परिवर्तित किया गया, इसके लिए उर्वरकों का इस्तेमाल किया गया।
- रासायनिक उर्वरकों को उचित मापदंड में उपयोग किया गया। अनाज की क्वालिटी और पॉजिटिव क्वांटिटी बढ़ाने में उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाने लगा।
- भूमि को जोतने से संबंधित चकबंदी की गई।
- इसके अलावा अभी आंतरिक मशीनों का सर्वाधिक उपयोग किया गया।
पूरे विश्व में हरित क्रांति को इन सभी तत्वों से बल मिला। हरित क्रांति को जमीनी स्तर पर अधिक गति से आगे बढ़ाने का काम नॉर्मन बोरलॉग ने किया।
उस समय में कृषि वैज्ञानिक थे, और हरित क्रांति के प्रमुख नेता के रूप में उन्हें प्रसिद्धि मिली। तकरीबन 2 अरब से भी अधिक लोगों को भुखमरी से बचाने का श्रेय नॉर्मन बोरलॉग को दिया गया।
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई
आपकों जानना जरूरी है कि, भारत में हरित क्रांति की शुरुआत साल 1966 में की गई। वहीं साल 1968 तक हरित क्रांति अपने रौद्र स्वरूप में आ चुकी थी। भारत में हरित क्रांति की शुरुआत का श्रेय अभिषेक भूषण को दिया जाता है।
हरित क्रांति का सरल और सीधा मतलब यह निकाला जा सकता है कि, भारत में उपस्थित संचित भूमि तथा संचित कृषि माध्यम के द्वारा अधिक उपज देने वाली कृषि फसलों का उत्पादन करना, और अधिक से अधिक उपज पैदा करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना, और विज्ञान तथा कृषि की मदद से अधिक से अधिक दलहन और तिलहन फसल का उत्पादन कम समय में करना।
हरित क्रांति के फायदे और महत्व
भारत में और पूरे विश्व में हरित क्रांति के कई फायदे और सकारात्मक असर देखने को मिले
- हरित क्रांति के माध्यम से अधिक उपज देने वाली फसलों की किस्में प्राप्त हुई।
- सुधरे हुए बीज और रसायनिक खाद की प्रचुर मात्रा में मिलने लगी।
- कृषि शिक्षा कार्यक्रम लघु सिंचाई और पौध संरक्षण को बल मिला।
- हरित क्रांति की मदद से फसलों का नवीनीकरण हो सका।
- कीटनाशकों का सही इस्तेमाल किया जाने लगा और मिट्टी को संरक्षित करने के प्रयास भी किए जाने लगे।
- भू संरक्षण का काम युद्धस्तर पर किया जाने लगा।
- हरित क्रांति की मदद से किसानों के जीवन को जैसे ऑक्सीजन ही मिल गई, और अधिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए बैंक भी किसानों को लोन देने लगे।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस महत्वपूर्ण पोस्ट के जरिए हमनें जाना कि, हरित क्रांति क्या है? इसकी शुरुआत कब हुई? और Harit kranti ke janak kaun hai? इसके अलावा आज के इस पोस्ट में हमारी ओर से हरित क्रांति के बारे में संपूर्ण और विस्तृत जानकारी उपलब्ध करने कि कोशिश कि है।
FAQ
भारत में हरित क्रांति के जनक है?
मनाकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन एक भारतीय आनुवंशिकीविद् और प्रशासक हैं, जिन्हें भारत की ‘हरित क्रांति’ में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। यह एक ऐसा कार्यक्रम था जिसके तहत भारत में गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों को लोकप्रिय बनाया गया था।
दूसरी हरित क्रांति के जनक कौन है?
दूसरी हरित क्रांति के जनक, भावरलाल जैन का मुंबई में निधन हो गया।
हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई थी?
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1966-67 में हुई थी। हरित क्रांति की शुरुआत का श्रेय नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिषेक भुनन को जाता है। हरित क्रांति का अर्थ है देश के सिंचित और असिंचित कृषि क्षेत्रों में उच्च उपज देने वाले संकर और बौने बीजों का उपयोग करके फसल उत्पादन में वृद्धि करना।
हरित क्रांति का उद्देश्य है?
विकल्प सी, ‘ गेहूं और चावल की खेती बढ़ाएँ ‘ या खाद्यान्न का उत्पादन हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य था।
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