Variable Frequency Drive VFD Hindi के इस आर्टिकल में VFD से जुडी तमाम जानकारी साजा होगी। जिसमे vfd क्या है ? कैसे काम करता है ? उसका लाभ क्या है ? और उससे जुड़े इंटरव्यू के कुछ सवाल और जवाब होंगे। आशा आपके लिए मददगार होगा।
Variable frequency drive (VFD) Hindi
VFD का Full Form Variable Frequency Drive होता है। इलेक्ट्रिक जगत में ये एक बेहतरीन अविष्कार है। आज कल फैक्टरी में इसका उपयोग बहुत ज्यादा होता है। किसी भी मोटर को स्टार्ट करने के लिए स्टार्टर का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमे डायरेक्ट ऑन लाइन स्टार्टर, स्टार डेल्टा स्टार्टर, सॉफ्ट स्टार्टर जैसे स्टार्टर का उपयोग होता है।
इन सभी स्टार्टर का मुख्य उदेश्य मोटर का रक्षण करना और सलामती पूर्वक चालू करने का होता है। पर आज काफी जगह पे इन स्टार्टर के बदले Variable Frequency Drive(VFD) ने लेली है। VFD की कुछ स्पेशल खासियत है जिसके कारण उसे ज्यादा पसंद किया जाता है।
What is VFD & it’s Working Principal ?
Variable Frequency Drive (VFD) ये एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। जिसे इनपुट में फ्रीक्वेन्सी 50 Hz के साथ 440VAC सप्लाई दी जाती है। जिसे आउटपुट में हमारी जरुरत के मुताबिक इसे बदल सकते है।
वैसे हम उसके नाम से ही अनुमान लगा सकते है। VFD (Variable Frequency Drive) जिसमे हम फ्रीक्वेन्सी को बदल सकते है। चेंज कर सकते है। मोटर के स्टार्टर के तोर पे हम दूसरे किसी भी स्टाटर में frequency चेंज नहीं कर सकते। Frequency (HZ) की सीधी असर मोटर की स्पीड पे होती है।
AC थ्री फेज मोटर की स्पीड सप्लाई की फ्रीक्वेन्सी पे आधार रखती है। फ्रीक्वेन्सी स्थिर रहेगी तो मोटर की स्पीड स्थिर रहेगी। VFD में हम फ़्रिक्वेन्सी को बदल सकते है। इसीलिए अपने जरूरियात के मुताबिक मोटर की गति को बदल सकते है। साथ में सुरक्षा प्रदान करता है,
अलग-अलग इंडस्ट्रीज में अलग-अलग मशीनरी का उपयोग होता है। इसमें से कुछ उपकरण को अलग-अलग स्पीड पे चलाने जरुरत होती है। ये जरुरियात प्रोडक्शन की है, जिसे पूरा करने की जिम्मेदारी टेक्निकल टीम की होती है। इस जरूरियात को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन VFD (Variable Frequency Drive) है।
Motor की स्पीड कैसे बदलते है।
मोटर की स्पीड को RPM (Revolution per Minute) में मापा जाता है।
मोटर में दो तरह की स्पीड होती है
1 – सिंक्रोनॉयस स्पीड (NS)- रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड की स्पीड
2 – रोटर स्पीड (NR)- जिस स्पीड पे रोटर घूमता है इसे मोटर स्पीड कहते है।
सिंक्रोनॉस(NS)-रोटर स्पीड(NR) के बिच के अंतर को स्लीप कहते है।
याद रखे – Variable Frequency Drive सिर्फ AC इंडक्शन मोटर के लिए इस्तेमाल होती है।
मोटर की गति दो तरह से बदला जाता है।
1 – मोटर के पोल चेंज करके
2 – सप्लाई फ़्रिक्वेन्सी में बदलाव करके
मोटर का पोल बदलना आसान काम नहीं है। जब मोटर का वाइंडिंग किया जाता है इसी वक्त उसके RPM त्यय हो जाता है। और इसके मुताबिक पोल की रचना की जाती है। जैसे की 2 पोल की मोटर का RPM-3000 होता है। 4 पोल की मोटर का RPM 1500 होता है। चलती मोटर में जरुरत के मुताबिक नहीं बदल सकते।
सप्लाई फ्रीक्वेन्सी में बदलाव करके मोटर की गति बदल सकते है। हमारे देश में सप्लाई फ़्रिक्वेन्सी 50Hz (50 cycle/second) है। इस सप्लाई फ्रीक्वेन्सी को VFD (Variable Frequency Drive) के से बदला जा सकता है। और इससे गति बदल सकते है।
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VFD Parts and Function-भाग और कार्य
वीएफडी में मुख्य तीन पार्ट होते है।
1 – Converter
2 – Filter
3 – Inverter
Converter -:
कन्वर्टर का काम है कन्वर्ट करना। इनकमिंग पावर सप्लाई थ्री फेज 440 VAC, 50Hz होती है। कनवर्टर में रेक्टिफायर यूनिट की थ्री फेज सर्किट होती है। जो AC सप्लाई को DC में रुपांतर करती है।कनवर्टर से आउटपुट DC सप्लाई फ़िल्टर में जाती है।
Filter -:
फ़िल्टर को चोक भी कहा जाता है। कनवर्टर से आउटगोइंग सप्लाई फ़िल्टर में जाती है। रेक्टिफायर से निकली D.C सप्लाई में कुछ अशुद्धि रह जाती है। इसीलिए, इसे शुद्ध D.C बनाने के लिए फ़िल्टर का इस्तेमाल होता है। फ़िल्टर से पसार होने के बाद ये स्मूथ DC सप्लाई के रुप में हमें मिलती है। इस समय इसकी वैल्यू करीबन 600 वाल्ट होती है।
निचे VFD Circuit की आकृति से हम समज सकते है। जिसमे इनपुट AC सप्लाई है। रेक्टिफायर सर्किट है, फिटर है, और अंत में इन्वर्टर सर्किट है। जहासे हमें वेरिएबल फ्रीक्वेंसी के साथ आउटपुट मिलता है।
Inverter -:
इन्वर्टर का काम DC सप्लाई को AC में रुपांतर करने का है। इसमें IGBT(Integrated Bipolar Transistor) इलेक्ट्रॉनिक कार्ड है, जिसको ड्राइव का हदय कहा जाता है।
Insulated gate bipolar transistor(IGBT) इसमें स्विचिंग बहुत फ़ास्ट होती है और करंट Caring कैपेसिटी भी अच्छी है। ये एक सेमि कंडक्टर डिवाइस है। जिसे MOS(Metal Oxide Semiconductor) के द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है।
इस कण्ट्रोल पद्धति को PWM (Pulse Width Modulation) कहते है।
इसके आलावा भी VFD में कूलिंग फैन होता है। जो इंटरनल पार्ट को कूलिंग करता है। DC Bus होता है। Control कार्ड होता है। इनपुट आउटपुट टर्मिनल कनेक्टर होता है। डिसप्ले यूनिट होता है।
VFD को ऑपरेट करने के लिए, पैरामीटर का सेटिंग करने के लिए on-off-trip जैसे बटन होते है। इसके आलावा स्पीड कण्ट्रोल pot रहता है। जहासे हम स्पीड कंट्रोल कर सकते है।
Advantage of VFD (Variable Frequency Drive) – vfd के फायदे
मोटर को चलाने के किसी भी स्टार्टर की तुलना में VFD लगाने के बहुत लाभ है, जिसे
निचे विस्तार से दिया गया है।
1 – Energy Saving – बिजली का बचाव होता है
VFD के उपयोग से बिजली की बचत होती है। लोड की जरुरत के हिसाब से Frequency बदलते है। ऐसी स्थिति में हम जितना जरूरत है इतना ही लोड देते है। इसीलिए ये बहुत बड़ा सेविंग है।
2 – Motor का स्टार्टिंग करंट कम हो जाता है
किसी भी मोटर को स्टार्ट करते है तब उसका स्टार्टिंग किक ज्यादा होता है। ये डायरेक्ट ऑन लाइन स्टार्टर में FLC का 5 से 6 गुणा होता है। और स्टार डेल्टा स्टार्टर में 3 से 4 गुणा होता है। स्टार्टिंग किक में लाइन वोल्टेज ड्राप भी होते है। और झटका लगने से उपकरण का रखरखाव ज्यादा करना पड़ता है।
3 – पावर फैक्टर अच्छा रहता है
पावर फैक्टर इलेक्ट्रिकल का एक महत्व का पैरामीटर है। VFD में पावर फैक्टर यूनिटी के करीब होता है। जिसके बजह से कम PF के कारण होने वाले नुकशान से बच सकते है। और इसे मेन्टेन करने के लिए किसी डिवाइस की जरुरत नहीं है।
4 – उपकरण का Maintenance कम हो जाता है।
Variable Frequency Drive(VFD) से ये एक बड़ा लाभ है। VFD से Operate होने वाला उपकरण अक्सेलरेशन और डिऑक्सेलेरेशन टाइम के मुताबिक स्मूथ ऑपरेट होता है। इसीलिए इसमें झटका नहीं लगता। इसके कारण मेंटेनन्स भी कम होता है और. उपकरण की कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है।
5 – स्टार्टिंग टॉर्क अच्छा होता है।
लोड के हिसाब से अलग-अलग उपकरण को स्टार्टिंग टॉर्क भी अलग -अलग चाहिए। जैसे की पंप के लिए कोई मोटर है तो उसे कम स्टार्टिंग टॉर्क चलेगा पर वही मोटर कोई ब्लोअर, फैन या क्रैन में उपयोग करना है तो स्टार्टिंग टॉर्क ज्यादा चाहिए। VFD में स्टार्टिंग टॉर्क भी अच्छा होता है।
7 – प्रोटेक्शन दूसरे स्टार्टर से बेहतर होता है।
मोटर का प्रोटेक्शन इम्पोर्टेन्ट है। दूसरे स्टार्टर की तुलना में VFD बहुत अच्छी तरह से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसमें ओवर लोड, अर्थ फॉल्ट,शार्ट सर्किट और सिंगल फेसिंग जैसे प्रोटेक्शन होता है। जो किसी स्टार्टर की तुलना में बहुत अच्छे है।
8 – इनस्टॉल करना आसान है।
Variable Frequency Drive को लगाना बहुत आसान है। स्टार्टर की तुलना में पावर और कण्ट्रोल कनेक्शन करना भी आसान है।
VFD को VSD नाम से भी जाना जाता है। जिसका फुल फॉर्म Variable Speech Drive है।
VFD में कोनसे पैरामीटर होते है
आज हर तरह का ऑटोमेशन संभव है। इसे देखे तो हर तरह का पैरामीटर VFD मे होता है। प्रोसेस के किसी भी पैरामीटर से हम ऑपरेट करना चाहे या कण्ट्रोल करना चाहे वो सब हो सकता है।
इलेक्ट्रिकल के मेईन पैरामीटर की बात करे तो मोटर की डिटेल फीड करना है।
जैसे मोटर KW, Voltage, FLC, RPM, Frequency (hz), Acceleration Time, De-acceleration time जैसे बेसिक पैरामीटर ऐड करना होता है। और ओवर लोड, शार्ट सर्किट,अर्थ फाल्ट और सिंगल फेसिंग जैसे प्रोटेक्शन सेट करना होता है।
VFD में Parameter कैसे ऐड करते है ?
Variable Speed Drive बहुत सारी कंपनी बनाती है। जैसे की, Siemens, ABB, Amtech, Crompton, L&T, Schneider, Alan Bradley जैसी कम्पनी का VFD में अच्छा नाम है।
जहा तक पैरामीटर की बात है। हर एक VFD में डिस्प्ले के साथ key बोर्ड होता है। जिसके साथ ON ,OFF, Trip, Reset, Enter, Up, Down जैसी Key होती है। अलग-अलग कंपनी पैरामीटर का नंबरिंग अपनी तरह से करती है। उस parameter के नंबर में जाके हमें वैल्यू ऐड करना है और Enter दबाना है। ये करने से पैरामीटर की वैल्यू सेट हो जाती है।
Variable Frequency Drive VFD Hindi
VFD Interview Questions
Question -1 VDF में Acceleration और De-acceleration का मीनिंग क्या है ?
Answer-
Acceleration – मोटर को स्टार्ट करने के बाद जीरो स्पीड से लेकर, जो Frequency हमने सेट की है उस स्पीड तक पहोचने में मोटर को जो समय लगता है। उस समय को Acceleration टाइम कहते है।
De-acceleration – मोटर को जब बंध करते है, उससे पहले फुल आरपीएम पे गुमती है। स्टॉप पुश बटन दबाने के बाद याने बंध का कमान देने के बाद जीरो स्पीड होने तक जो समय लगता है उसे De-acceleration टाइम कहते है।
Question -2 AC Drive लगाने का मुख्य उदेश्य क्या है ?
Answer – प्रोसेस की जरुरियात के मुताबिक उपकरण की स्पीड बदलनी पड़ती है।
ये काम VFD से Frequency चेंज कर के हो सकता है। इसीलिए VFD को लगाया जाता है। इसके आलावा भी वीएफडी लगाने के लाभ है वो ऊपर दिए गए है।
Question -3 Potentiometer क्या है ?
Answer – Potentiometer को POT भी कहते है। ये पॉट VFD(वेरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव) पैनल पे लगाया जाता है। या दूसरी किसी जगह पे प्रोसेस की जरुरत हो वहा लगाया जाता है। इसका मुख्य काम frequency को कम ज्यादा करने का है। जिससे मोटर की और उससे चलने वाले उपकरण की गति बदली जा सकती है।
Question – 4 VFD से क्या क्या प्रोटेक्शन मिलते है ?
Answer – Variable Frequency Drive में मोटर के सभी प्रोटेक्शन मिल जाते है।
जैसे की ओवरलोड, अर्थ फाल्ट, Unbalance करंट, शार्ट सर्किट, फेज लॉस, रोटर स्ट्रक जैसे सभी प्रोटेक्शन मिल जाते है।
Question -5 IGBT और PWM का फुल फॉर्म क्या होता है ?
Answer
IGBT Full Form – Insulated Gate Bipolar Transistor
PWM Full Form – Pulse Width Module
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर कार्य पद्धति
Electrical Interview Questions-Answer
Variable Frequency Drive VFD Hindi के इस article में AC Drive से जुडी जानकारी है। आशा हे ये आपके लिए हेल्पफुल होगी। VFD से जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते है।
3 Comments
10 hp solar system ke VFD sa motar k chaker 500 se upar nahi h VFD rotosol ke chaker bdane ka liya help kare or koi mobile no. Btay
vfd me hz ka perameter ko increse kare.