NCERT Class 9 Hindi Sanchayan Book Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Important Question Answers
Kallu Kumhar Ki Unakoti Important Questions – Here are the Kallu Kumhar Ki Unakoti Question Answers for CBSE Class 9 Hindi Sanchayan Book Chapter 3. The important questions we have compiled will help the students brush up on their knowledge about the subject.
Students can practice Class 9 Hindi important questions to understand the subject better and improve their performance in the exam. The solutions provided here will also give students an idea about how to write the answers.
सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1 –
ध्वनि में यह अद्भुत गुण है कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे समय–संदर्भ में पहुँचा सकती है। मैं उनमें से नहीं हूँ जो सुबह चार बजे उठते हैं, पाँच बजे तक तैयार हो लेते हैं और फिर लोधी गार्डन पहुँच कर मकबरों और मेम साहबों की सोहबत में लंबी सैर पर निकल जाते हैं। मैं आमतौर पर सूर्योदय के साथ उठता हूँ, अपनी चाय खुद बनाता हूँ और फिर चाय और अखबार लेकर लंबी अलसायी सुबह का आनंद लेता हूँ। अकसर अखबार की खबरों पर मेरा कोई ध्यान नहीं रहता। यह तो सिर्फ दिमाग को कटी पतंग की तरह यों ही हवा में तैरने देने का एक बहाना है। दरअसल इसे कटी पतंग योग भी कहा जा सकता है। इसे मैं अपने लिए काफी ऊर्जादायी पाता हूँ और मेरा दृढ़ विश्वास है कि संभवतः इससे मुझे एक और दिन के लिए दुनिया का सामना करने में मदद मिलती है–एक ऐसी दुनिया का सामना करने में जिसका कोई सिर–पैर समझ पाने में मैं अब खुद को असमर्थ पाता हूँ।
प्रश्न 1 – ध्वनि में अद्भुत गुण है –
(क) कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे समय–संदर्भ में पहुँचा सकती है
(ख) कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरी जगह में पहुँचा सकती है
(ग) कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे की याद दिला सकती है
(घ) कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे व्यक्ति से मिला सकती है
उत्तर – (क) कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे समय–संदर्भ में पहुँचा सकती है
प्रश्न 2 – गद्यांश में लेखक अपने बारे में क्या बता रहे हैं?
(क) कि वे उनमें से नहीं हैं जो सुबह चार बजे उठते हैं, पाँच बजे तक तैयार हो लेते हैं
(ख) कि वे आमतौर पर सूर्योदय के साथ उठते हैं और अपनी चाय खुद बनाते हैं
(ग) वे चाय और अखबार लेकर लंबी अलसायी सुबह का आनंद लेते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – अक्सर लेखक का ध्यान कहाँ नहीं रहता?
(क) चाय बनाने में
(ख) सुबह जल्दी सारा काम करने में
(ग) अखबार की ख़बरों में
(घ) सूर्योदय के साथ उठने में
उत्तर – (ग) अखबार की ख़बरों में
प्रश्न 4 – अखबार की ख़बरों को लेखक क्या मानते हैं?
(क) दिमाग को यों ही भटकने देने का एक बहाना
(ख) दिमाग को आजाद रखने का एक बहाना
(ग) दिमाग को तरह–तरह की तरकीब सोचने देने का एक बहाना
(घ) दिमाग को कटी पतंग की तरह यों ही हवा में तैरने देने का एक बहाना
उत्तर – (घ) दिमाग को कटी पतंग की तरह यों ही हवा में तैरने देने का एक बहाना
प्रश्न 5 – कटी पतंग योग से लेखक को क्या सहायता मिलती है?
(क) इससे लेखक काफी ऊर्जादायी महसूस करता है
(ख) इससे लेखक को एक और दिन के लिए दुनिया का सामना करने में मदद मिलती है
(ग) लेखक को दृढ़ विश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
2 –
अभी हाल में मेरी इस शांतिपूर्ण दिनचर्या में एक दिन खलल पड़ गया। मैं जगा एक ऐसी कानफाड़ू आवाज से, जो तोप दगने और बम फटने जैसी थी, गोया जार्ज डब्लू. बुश और सद्दाम हुसैन की मेहरबानी से तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हो चुकी हो। खुदा का शुक्र है कि ऐसी कोई बात नहीं थी। दरअसल यह तो महज स्वर्ग में चल रहा देवताओं का कोई खेल था, जिसकी झलक बिजलियों की चमक और बादलों की गरज के रूप में देखने को मिल रही थी। मैंने खिड़की के बाहर झाँका। आकाश बादलों से भरा था जो सेनापतियों द्वारा त्याग दिए गए सैनिकों की तरह आतंक में एक–दूसरे से टकरा रहे थे। विक्षिप्तों की तरह आकाश को भेद–भेद देने वाली तड़ित के अलावा जाड़े की अलस्सुबह का ठंडा भूरा आकाश भी था, जो प्रकृति के तांडव को एक पृष्ठभूमि मुहैया करा रहा था। इस तांडव के गर्जन–तर्जन ने मुझे तीन साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम में पहुँचा दिया।
दिसंबर 1999 में ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टीवी शृंखला बनाने के सिलसिले में मैं त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गया था। इसके पीछे बुनियादी विचार त्रिपुरा की समूची लंबाई में आर–पार जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से यात्रा करने और त्रिपुरा की विकास सम्बन्धी गतिविधियों के बारे में जानकारी देने का था।
प्रश्न 1 – लेखक की शांतिपूर्ण दिनचर्या में एक दिन खलल पड़ने का क्या कारण था –
(क) तोप दगने और बम फटने की आवाज
(ख) तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत
(ग) देवताओं का कोई खेल
(घ) बादलों की गरज की कानफाड़ आवाज
उत्तर – (घ) बादलों की गरज की कानफाड़ आवाज
प्रश्न 2 – गद्यांश में लेखक ने बिजलियों की चमक और बादलों की गरज की तुलना किससे की है?
(क) किसी कानफाड़ आवाज़ से
(ख) स्वर्ग में चल रहे देवताओं के किसी खेल से
(ग) तीसरे विश्वयुद्ध से
(घ) तोप दगने और बम फटने की आवाज से
उत्तर – (ख) स्वर्ग में चल रहे देवताओं के किसी खेल से
प्रश्न 3 – कौन प्रकृति के तांडव को एक पृष्ठभूमि मुहैया करा रहा था?
(क) जाड़े की अलस्सुबह का ठंडा भूरा आकाश
(ख) बिजलियों की चमक और बादलों की गरज
(ग) विक्षिप्तों की तरह आकाश को भेद–भेद देने वाली तड़ित
(घ) बादलों से भरा आकाश
उत्तर – (क) जाड़े की अलस्सुबह का ठंडा भूरा आकाश
प्रश्न 4 – बिजलियों की चमक और बादलों की गरज के तांडव के गर्जन–तर्जन ने लेखक को कहाँ पहुँचा दिया?
(क) दो साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम में
(ख) एक साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम में
(ग) तीन साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम में
(घ) चार साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम में
उत्तर – (ग) तीन साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम में
प्रश्न 5 – लेखक त्रिपुरा की राजधानी अगरतला क्यों गया था?
(क) ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक पुस्तक लिखने के सिलसिले में
(ख) ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टीवी शृंखला बनाने के सिलसिले में
(ग) ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक फ़िल्म बनाने के सिलसिले में
(घ) ‘ऑन द साइड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टीवी शृंखला बनाने के सिलसिले में
उत्तर – (ख) ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टीवी शृंखला बनाने के सिलसिले में
3 –
त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से है। चैंतीस प्रतिशत से ज्यादा की इसकी जनसंख्या वृद्धि दर भी खासी ऊँची है। तीन तरफ से यह बांग्लादेश से घिरा हुआ है और शेष भारत के साथ इसका दुर्गम जुड़ाव उत्तर–पूर्वी सीमा से सटे मिज़ोरम और असम के द्वारा बनता है। सोनामुरा, बेलोनिया, सबरूम और कैलासशहर जैसे त्रिपुरा के ज्यादातर महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश के साथ इसकी सीमा के करीब हैं। यहाँ तक कि अगरतला भी सीमा चैकी से महज दो किलोमीटर पर है। बांग्लादेश से लोगों की अवैध् आवक यहाँ ज़बरदस्त है और इसे यहाँ सामाजिक स्वीकृति भी हासिल है। यहाँ की असाधरण जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण यही है। असम और पश्चिम बंगाल से भी लोगों का प्रवास यहाँ होता ही है। कुल मिलाकर बाहरी लोगों की भारी आवक ने जनसंख्या संतुलन को स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ ला खड़ा किया है। यह त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष की मुख्य वजह है।
प्रश्न 1 – त्रिपुरा तीन तरफ से ———- से घिरा हुआ है –
(क) बंगाल की खाड़ी
(ख) बांग्लादेश
(ग) पश्चिम बंगाल
(घ) मिज़ोरम और असम
उत्तर – (ख) बांग्लादेश
प्रश्न 2 – त्रिपुरा में कहाँ से लोगों की अवैध् आवक ज़बरदस्त है?
(क) असम
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) बांग्लादेश
(घ) मिज़ोरम
उत्तर – (ग) बांग्लादेश
प्रश्न 3 – त्रिपुरा की असाधरण जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
(क) असम से लोगों की अवैध् आवक
(ख) पश्चिम बंगाल से लोगों की अवैध् आवक
(ग) मिज़ोरम से लोगों की अवैध् आवक
(घ) बांग्लादेश से लोगों की अवैध् आवक
उत्तर – (घ) बांग्लादेश से लोगों की अवैध् आवक
प्रश्न 4 – बाहरी लोगों की भारी आवक ने जनसंख्या संतुलन को —————-के खिलाफ ला खड़ा किया है?
(क) स्थानीय आदिवासियों
(ख) स्थानीय आम जनता
(ग) स्थानीय व्यापारियों
(घ) स्थानीय किसानों
उत्तर – (क) स्थानीय आदिवासियों
प्रश्न 5 – त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष की मुख्य वजह क्या है?
(क) बाहरी लोगों की भारी आवक से व्यापारिक संतुलन
(ख) बाहरी लोगों की भारी आवक से सांस्कृतिक संतुलन
(ग) बाहरी लोगों की भारी आवक से जनसंख्या संतुलन
(घ) बाहरी लोगों की भारी आवक से भावनात्मक संतुलन
उत्तर – (ग) बाहरी लोगों की भारी आवक से जनसंख्या संतुलन
4 –
पहले तीन दिनों में मैंने अगरतला और उसके इर्द–गिर्द शूटिंग की, जो कभी मंदिरों और महलों के शहर के रूप में जाना जाता था। उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है जिसमें अब वहाँ की राज्य विधनसभा बैठती है। राजाओं से आम जनता को हुए सत्ता हस्तांतरण को यह महल अब नाटकीय रूप में प्रतीकित करता है। इसे भारत के सबसे सफल शासक वंशों में से एक, लगातार 183 क्रमिक राजाओं वाले त्रिपुरा के माणिक्य वंश का दुखद अंत ही कहेंगे। त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ तो पैदा हुई हैं लेकिन इसके चलते यह राज्य बहुधर्मिक समाज का उदाहरण भी बना है। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिध्त्वि मौजूद है। अगरतला के बाहरी हिस्से पैचारथल में मैंने एक सुंदर बौद्ध मंदिर देखा। पूछने पर मुझे बताया गया कि त्रिपुरा के उन्नीस कबीलों में से दो, यानी चकमा और मुघ महायानी बौद्ध हैं। ये कबीले त्रिपुरा में बर्मा या म्यांमार से चटगाँव के रास्ते आए थे। दरअसल इस मंदिर की मुख्य बुध प्रतिमा भी 1930 के दशक में रंगून से लाई गई थी।
प्रश्न 1 – पहले तीन दिनों में लेखक ने कहाँ शूटिंग की?
(क) अगरतला
(ख) अगरतला के इर्द–गिर्द
(ग) अगरतला और उसके इर्द–गिर्द
(घ) त्रिपुरा और उसके इर्द–गिर्द
उत्तर – (ग) अगरतला और उसके इर्द–गिर्द
प्रश्न 2 – उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है जिसमें अब त्रिपुरा की ————— बैठती है?
(क) राज्य विधनसभा
(ख) लोकसभा
(ग) राज्य सभा
(घ) विधानसभा
उत्तर – (क) राज्य विधनसभा
प्रश्न 3 – लगातार कितने क्रमिक राजाओं के बाद माणिक्य वंश का दुखद अंत हुआ?
(क) 184
(ख) 183
(ग) 182
(घ) 193
उत्तर – (ख) 183
प्रश्न 4 – त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने से होने वाली समस्याओं के बावजूद क्या फायदा हुआ हैं?
(क) यह राज्य बहुधर्मिक समाज का उदाहरण बना है
(ख) उन्नीस अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिध्त्वि मौजूद है
(ग) विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिध्त्वि मौजूद है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – अगरतला के बाहरी हिस्से पैचारथल में स्थित बौद्ध मंदिर की मुख्य बुध प्रतिमा कब और कहाँ से लाई गई थी?
(क) 1920 के दशक में रंगून से
(ख) 1930 के दशक में रंगून से
(ग) 1940 के दशक में रंगून से
(घ) 1950 के दशक में रंगून से
उत्तर – (ख) 1930 के दशक में रंगून से
5 –
टीलियामुरा शहर के वार्ड नं. 3 में मेरी मुलाकात एक और गायक मंजु ऋषिदास से हुई। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। लेकिन जूते बनाने के अलावा इस समुदाय के कुछ लोगों की विशेषज्ञता थाप वाले वाद्यों जैसे तबला और ढोल के निर्माण और उनकी मरम्मत के काम में भी है। मंजु ऋषिदास आकर्षक महिला थीं और रेडियो कलाकार होने के अलावा नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। वे निरक्षर थीं। लेकिन अपने वार्ड की सबसे बड़ी आवश्यकता यानी स्वच्छ पेयजल के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। नगर पंचायत को वे अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने और इसकी मुख्य गलियों में ईंटें बिछाने के लिए राशी कर चुकी थीं। हमारे लिए उन्होंने दो गीत गाए और इसमें उनके पति ने शामिल होने की कोशिश की क्योंकि मैं उस समय उनके गाने की शूटिंग भी कर रहा था। गाने के बाद वे तुरंत एक गृहिणी की भूमिका में भी आ गईं और बगैर किसी हिचक के हमारे लिए चाय बनाकर ले आईं। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ कि किसी उत्तर भारतीय गाँव में ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि स्वच्छता के नाम पर एक नए किस्म की अछूत–प्रथा वहाँ अब भी चलन में है।
प्रश्न 1 – मंजु ऋषिदास कौन थी?
(क) आकर्षक किन्तु निरक्षर महिला
(ख) रेडियो कलाकार
(ग) नगर पंचायत में अपने वार्ड की प्रतिनिधि
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – मंजु ऋषिदास के वार्ड की सबसे बड़ी आवश्यकता क्या थी?
(क) स्वच्छ पेयजल
(ख) स्वच्छ भोजन
(ग) स्वच्छ वस्त्र
(घ) स्वच्छ जल
उत्तर – (क) स्वच्छ पेयजल
प्रश्न 3 – मंजु ऋषिदास ने लेखक और उनके साथियों के लिए कितने गीत गए?
(क) तीन
(ख) एक
(ग) दो
(घ) एक भी नहीं
उत्तर – (ग) दो
प्रश्न 4 – मंजु ऋषिदास लेखक और उनके साथियों के लिए क्या बना कर लाई?
(क) खाना
(ख) शरबत
(ग) पानी
(घ) चाय
उत्तर – (घ) चाय
प्रश्न 5 – गद्यांश के अनुसार अछूत–प्रथा अब भी कहाँ चलन में है?
(क) उत्तर भारतीय गाँव में
(ख) दक्षिण भारतीय गाँव में
(ग) पश्चिम भारतीय गाँव में
(घ) पूर्व भारतीय गाँव में
उत्तर – (क) उत्तर भारतीय गाँव में
6 –
अब हम उत्तरी त्रिपुरा जिले में आ गए थे। यहाँ की लोकप्रिय घरेलू गतिविधियों में से एक है अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना। अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। उत्तरी त्रिपुरा जिले का मुख्यालय कैलासशहर है, जो बांग्लादेश की सीमा के काफी करीब है।
मैंने यहाँ के जिलाधिकारी से मुलाकात की, जो केरल से आए एक नौजवान निकले। वे तेज़तर्रार, मिलनसार और उत्साही व्यक्ति थे। चाय के दौरान उन्होंने मुझे बताया कि टी.पी.एस. (टरू पोटेटो सीड्स) की खेती को त्रिपुरा में, खासकर उत्तरी जिले में किस तरह सफलता मिली है। आलू की बुआई के लिए आमतौर पर पारंपरिक आलू के बीजों की शुरुआत दो मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर पड़ती है। इसके बरक्स टी.पी.एस की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है। त्रिपुरा से टी.पी.एस. का निर्यात अब न सिर्फ असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को, बल्कि बांग्लादेश, मलेशिया और विएतनाम को भी किया जा रहा है।
प्रश्न 1 – उत्तरी त्रिपुरा जिले की लोकप्रिय घरेलू गतिविधियों में से एक है?
(क) अगरबत्तियों को तैयार करना
(ख) बाँस की पतली सींकें तैयार करना
(ग) अगरबत्तियों के लिए बाँस तैयार करना
(घ) अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना
उत्तर – (घ) अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना
प्रश्न 2 – अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करके अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कहाँ भेजा जाता है?
(क) कर्नाटक और त्रिपुरा
(ख) त्रिपुरा और गुजरात
(ग) कर्नाटक और गुजरात
(घ) केरल और गुजरात
उत्तर – (ग) कर्नाटक और गुजरात
प्रश्न 3 – उत्तरी त्रिपुरा जिले का मुख्यालय कहाँ है?
(क) कैलाशहर
(ख) कैसशहर
(ग) कैलासशहर
(घ) पैलासशहर
उत्तर – (ग) कैलासशहर
प्रश्न 4 – आलू की बुआई के लिए आमतौर परकैसे आलू के बीजों का प्रयोग किया जाता है?
(क) पारंपरिक आलू
(ख) व्यापारिक आलू
(ग) कृत्रिम आलू
(घ) पुराने आलू
उत्तर – (क) पारंपरिक आलू
प्रश्न 5 – त्रिपुरा से टी.पी.एस. का निर्यात कहाँ–कहाँ किया जा रहा है?
(क) असम, मिजोरम, नागालैंड
(ख) अरुणाचल प्रदेश, बांग्लादेश
(ग) मलेशिया और विएतनाम
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – ध्वनि का एक अनोखा गुण क्या है?
(क) वह एक क्षण में ही आपको बहरा बना सकती है
(ख) वह एक क्षण में ही आपको किसी दूसरे की आवाज सूना सकती है
(ग) वह एक क्षण में ही आपको किसी दूसरे ही समय-संदर्भ में पहुँचा सकती है
(घ) वह एक क्षण में ही आपको किसी दूसरी ही जगह में पहुँचा सकती है
उत्तर – (ग) वह एक क्षण में ही आपको किसी दूसरे ही समय-संदर्भ में पहुँचा सकती है
प्रश्न 2 – लेखक किस तरह का व्यक्ति है?
(क) वह उन लोगों में से नहीं है जो सुबह चार बजे उठते हैं, पाँच बजे तक सुबह की सैर के लिए तैयार हो जाते हैं और फिर लोधी गार्डन पहुँच कर वहाँ बने मकबरों को निहारते रहते है
(ख) लेखक आमतौर पर सूर्योदय के साथ उठता है और फिर अपनी चाय खुद बनाता है
(ग) लेखक चाय और अखबार लेकर लंबी आलस से भरी हुई सुबह का मजा लेता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – लेखक किस पर ध्यान नहीं रखता?
(क) अखबार की खबरों पर
(ख) लोगों की बातों पर
(ग) समय पर
(घ) सुबह की सैर पर
उत्तर – (क) अखबार की खबरों पर
प्रश्न 4 – लेखक के अनुसार अखबार पढ़ना क्या है?
(क) दिमाग को किसी कटी पतंग की तरह ऐसे ही हवा में तैरने देने का एक बहाना है
(ख) समय बर्बाद करने का एक बहाना है
(ग) दिमाग को तरो-ताज़ा रखने का एक बहाना है
(घ) दिमाग को दुनिया से जोड़े रखने और हर चीज़ की जानकारी रखने का एक बहाना है
उत्तर – (क) दिमाग को किसी कटी पतंग की तरह ऐसे ही हवा में तैरने देने का एक बहाना है
प्रश्न 5 – लेखक की शांतिपूर्ण दिनचर्या में कैसे बाधा पड़ गई?
(क) घंटी की लगातार आवाज़ से
(ख) किसी कानफाड़ आवाज़ से
(ग) किसी बच्चे के चिल्लाने से
(घ) बाहर के शोर-शराबे से
उत्तर – (ख) किसी कानफाड़ आवाज़ से
प्रश्न 6 – लेखक की शांतिपूर्ण दिनचर्या में बाधा डालने वाली कान को फाड़ कर रख देने वाली तेज आवाज किसकी थी?
(क) तोप दगने और बम फटने
(ख) तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत
(ग) बिजलियों की चमक और बादलों की गरज
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) बिजलियों की चमक और बादलों की गरज
प्रश्न 7 – बिजलियों की चमक और बादलों की गरज के गर्जन-तर्जन ने लेखक को किसकी याद दिला दी थी?
(क) त्रिपुरा में उनाकोटी की
(ख) त्रिपुरा की
(ग) त्रिपुरा में मनु कस्बे की
(घ) त्रिपुरा में शिव स्थल की
उत्तर – (क) त्रिपुरा में उनाकोटी की
प्रश्न 8 – किस टीवी शृंखला को बनाने के सिलसिले में लेखक त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गया था?
(क) ‘ऑन द साइट’
(ख) ‘ऑन द फॉरेस्ट’
(ग) ‘ऑन द डेंजर’
(घ) ‘ऑन द रोड’
उत्तर – (घ) ‘ऑन द रोड’
प्रश्न 9 – बांग्लादेश से लोगों का बिना अनुमति के कहाँ आना और वहीँ बस जाना जबर्दस्त है?
(क) असाम में
(ख) त्रिपुरा में
(ग) उनाकोटी में
(घ) मनु कस्बे में
उत्तर – (ख) त्रिपुरा में
प्रश्न 10 – भारत की मुख्य धरा में आई मुँहजोर और दिखावेबाज संस्कृति ने अभी त्रिपुरा के जन-जीवन को नष्ट नहीं किया है। क्यों?
(क) जिला परिषद ने लेखक की शूटिंग यूनिट के लिए एक भोज का प्रबंध किया था। यह एक सीधा-सादा खाना था जिसे जिला परिषद के सदस्यों ने सम्मान और लगाव के साथ उन लोगों के सामने परोसा था
(ख) त्रिपुरा के लोग अभी दिखावटी दुनिया से दूर थे, वे अपने रीती-रिवाजों को ही मानते आ रहे थे
(ग) बॉलीवुड के सबसे मौलिक या मनपसंद संगीतकारों में एक एस.डी. बर्मन त्रिपुरा से ही आए थे, वे त्रिपुरा के राजपरिवार के उत्तराधिकारियों में से एक थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 11 – ऋषिदास किस समुदाय का नाम है?
(क) मोचियों के एक समुदाय का
(ख) चित्रकारों के एक समुदाय का
(ग) किसानों के एक समुदाय का
(घ) संगीतकारों के एक समुदाय का
उत्तर – (क) मोचियों के एक समुदाय का
प्रश्न 12 – राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर अगले 83 किलोमीटर यानी मनु तक की यात्रा के दौरान ट्रैफिक सी.आर.पी.एफ. की सुरक्षा में काफिलों की शक्ल में चलता है। क्यों?
(क) लोगों से बचने के लिए
(ख) आदिवासियों से बचने के लिए
(ग) विरोधियों से बचने के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) विरोधियों से बचने के लिए
प्रश्न 13 – डर के कारण लेखक की रीढ़ में एक झुरझुरी सी क्यों दौड़ गई थी?
(क) जब सी.आर.पी.एफ. कर्मी ने लेखक को बताया कि दो दिन पहले ही उनके एक जवान को विद्रोहियों द्वारा मार डाला गया था
(ख) यह सोच कर कि सुंदर और पूरी तरह से शांतिपूर्ण लगने वाले जंगलों में किसी जगह बंदूकें लिए विद्रोही भी छिपे हो सकते हैं
(ग) केवक (ख)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 14 – एक साथ बँधे हजारों बाँसों के समूह को देखकर लेखक को कैसा लग रहा था?
(क) जैसे लेखक कोई विशाल बंडल देख रहा हो
(ख) जैसे कोई विशाल ड्रैगन नदी पर बहा चला आ रहा था
(ग) जैसे लेखक कोई विशाल जहाज देख रहा हो और ऐसा लग रहा था कि वह नदी पर बहा चला आ रहा था
(घ) जैसे कोई विशाल नाव नदी पर बहाती चली आ रही हो
उत्तर – (ख) जैसे कोई विशाल ड्रैगन नदी पर बहा चला आ रहा था
प्रश्न 15 – कैलासशहर का जिलाधिकारी कैसा व्यक्ति था?
(क) तेज़तर्रार
(ख) उत्साही
(ग) मिलनसार
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16 – बरक्स टी.पी.एस की सिर्फ कितने ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है?
(क) 100
(ख) 150
(ग) 200
(घ) 250
उत्तर – (क) 100
प्रश्न 17 – टी.पी.एस. की खेती कहाँ की जाती थी?
(क) अगरतला
(ख) मनु कस्बे
(ग) मुराई गाँव
(घ) उनाकोटी
उत्तर – (ग) मुराई गाँव
प्रश्न 18 – उनाकोटी का क्या मतलब है?
(क) एक कोटि, यानी एक लाख से एक कम
(ख) एक कोटि, यानी एक करोड़ से एक कम
(ग) एक कोटि, यानी एक हज़ार से एक कम
(घ) एक कोटि, यानी एक करोड़ में से एक
उत्तर – (ख) एक कोटि, यानी एक करोड़ से एक कम
प्रश्न 19 – उनाकोटी में विशाल आधार-मूर्तियाँ कैसे बनी हैं?
(क) पहाड़ों को अंदर से काटकर
(ख) पहाड़ों को बाहर से काटकर
(ग) पहाड़ों को जोड़-तोड़ कर
(घ) पहाड़ों को नष्ट करके
उत्तर – (क) पहाड़ों को अंदर से काटकर
प्रश्न 20 – स्थानीय आदिवासियों के अनुसार मूर्तियों का निर्माता कौन था?
(क) कालू कुम्हार
(ख) मनु कुम्हार
(ग) कल्लू कुम्हार
(घ) उनाकोटी कुम्हार
उत्तर – (ग) कल्लू कुम्हार
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Short Question Answers – (25 से 30 शब्दों में)
प्रश्न 1 – लेखक ने पहले तीन दिनों की शूटिंग में अगरतला के बारे में क्या जाना?
उत्तर – पहले के तीन दिनों में लेखक ने अगरतला और उसके आस-पास ही शूटिंग की, जहाँ लेखक शूटिंग कर रहा था वह स्थान कभी मंदिरों और महलों के शहर के रूप में जाना जाता था। उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है जिसका प्रयोग अब वहाँ की राज्य विधानसभा के लिए किया जाता है। राजाओं के पास से आम जनता के हाथों में आने की कहानी को यह महल अब किसी नाटक के रूप में व्यक्त करता है। इसे भारत के सबसे सफल शासक वंशों में से एक, माणिक्य वंश का दुखद अंत ही कहेंगे क्योंकि इस वंश के लगातार 183 राजाओं ने त्रिपुरा पर राज किया था।
प्रश्न 2 – त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने और यहीं बस जाने से समस्याओं के साथ-साथ क्या फायदा हुआ है?
उत्तर – त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने और यहीं बस जाने से कुछ समस्याएँ तो पैदा हुई हैं लेकिन इसके कारण यह राज्य विभिन्न धर्मों वाले समाज का उदाहरण भी बना है। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिध्त्वि मौजूद है। अगरतला के बाहरी हिस्से पैचारथल में लेखक ने एक सुंदर बौद्ध मंदिर भी देखा था। जब लेखक ने उसके बारे में पूछा तो लेखक को बताया गया कि त्रिपुरा के उन्नीस कबीलों में से दो कबीले, यानी चकमा और मुघ महायानी बौद्ध हैं। ये कबीले त्रिपुरा में बर्मा या म्यांमार से चटगाँव के रास्ते से आए थे। लेखक को यह भी बताया गया कि इस मंदिर की जो मुख्य बुध प्रतिमा है उसे भी 1930 के दशक में रंगून से यहाँ लाया गया था।
प्रश्न 3 – हेमंत कुमार जमातिया कौन थे?
उत्तर – टीलियामुरा कस्बे में लेखक की मुलाकात हेमंत कुमार जमातिया से हुई जो वहाँ के एक बहुत ही प्रसिद्ध लोक-गायक थे और उन्हें 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कार भी दिए गए हैं। हेमंत वहाँ की ही एक बोली-कोकबारोक बोली में गीत गाते हैं। यह बोली त्रिपुरा में मौजूद कबीलों की बोलियों में से एक है। जवानी के दिनों में हेमंत कुमार जमातिया पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता थे। लेकिन जब उनसे लेखक की मुलाकात हुई तब वे हथियारों के साथ संघर्ष का रास्ता छोड़ चुके थे और चुनाव लड़ने के बाद अब वे जिला परिषद के सदस्य बन गए थे।
प्रश्न 4 – ‘भारत में जो एक दूसरे की देखा-देखी की संस्कृति बन चुकी थी उसने अभी तक फिलहाल त्रिपुरा के जन-जीवन को नष्ट नहीं किया था’ से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर – जिला परिषद ने लेखक की शूटिंग यूनिट के लिए एक भोज का प्रबंध किया था। यह एक सीधा-सादा खाना था जिसे जिला परिषद के सदस्यों ने सम्मान और लगाव के साथ उन लोगों के सामने परोसा था। लेखक यहाँ यह भी स्पष्ट करता है कि भारत में जो एक दूसरे की देखा-देखी की संस्कृति बन चुकी थी उसने अभी तक फिलहाल त्रिपुरा के जन-जीवन को नष्ट नहीं किया था कहने का तात्पर्य यह है कि त्रिपुरा के लोग अभी दिखावटी दुनिया से दूर थे, वे अपने रीती-रिवाजों को ही मानते आ रहे थे। भोजन करने के बाद लेखक ने हेमंत कुमार जमातिया से एक गीत सुनाने की प्रार्थना की और उन्होंने अपनी धरती पर बहती शक्तिशाली नदियों, ताजगी भरी हवाओं और शांति से भरा एक गीत गाया। लेखक के अनुसार त्रिपुरा में संगीत की जड़ें काफी गहरी हैं। गौरतलब है कि बॉलीवुड के सबसे मौलिक या मनपसंद संगीतकारों में एक एस.डी. बर्मन त्रिपुरा से ही आए थे। दरअसल वे त्रिपुरा के राजपरिवार के उत्तराधिकारियों में से एक थे।
प्रश्न 5 – लेखक ने पाठ में मनु कस्बे का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर – त्रिपुरा की प्रमुख नदियों में से एक मनु नदी है। जिसके किनारे स्थित मनु एक छोटा सा कस्बा है। जिस वक्त लेखक और लेखक की यूनिट मनु नदी के पार जाने वाले पुल पर पहुँची, तब शाम हो रही थी और उस शाम को सूर्य की सुनहरी किरणें को मनु नदी के जल पर बिखरा हुआ देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सूर्य मनु नदी के पानी में अपना सोना उँड़ेल रहा था। वहाँ लेखक को एक और यात्रियों का दल दिखा। एक साथ बँधे हजारों बाँसों के उस समूह को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे लेखक कोई विशाल ड्रैगन देख रहा हो और ऐसा लग रहा था कि वह नदी पर बहा चला आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे डूबते सूरज की सुनहरी रोशनी उसे सुलगा रही थी और लेखक और लेखक की यूनिट के समूह को सुरक्षा दे रही सी.आर.पी.एफ. की एक समूची कंपनी के उलट उस दूसरे समूह की सुरक्षा का काम सिर्फ चार व्यक्ति सँभाले हुए थे।
प्रश्न 6 – टी.पी.एस. (टरू पोटेटो सीड्स) की खेती को त्रिपुरा में, खासकर पर उत्तरी जिले में किस तरह से सफलता मिली है?
उत्तर – आलू की बुआई के लिए आमतौर पर परम्परागत आलू के बीजों की शुरुआत दो मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर पड़ती है। इसके बरक्स टी.पी.एस की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है। त्रिपुरा से टी.पी.एस. को अब न सिर्फ असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को ही भेजा जाता है, बल्कि अब तो विदेशो में जैसे बांग्लादेश, मलेशिया और विएतनाम को भी भेजा जा रहा है। कलेक्टर ने अपने एक अधिकारी को लेखक और लेखक की यूनिट को मुराई गाँव ले जाने को कहा, जहाँ टी.पी.एस. की खेती की जाती थी।
प्रश्न 7 – लेखक को क्यों लगा कि उनाकोटी में शूटिंग करना उसे अच्छा लगेगा?
उत्तर – जिलाधिकारी ने लेखक को उनाकोटी के बारे में बताते हुए कहा कि उनाकोटी भारत का सबसे बड़ा तो नहीं परन्तु सबसे बड़े भगवान शिव के तीर्थों में से एक जरूर है। संसार के इस हिस्से में युगों से केवल स्थानीय आदिवासी धर्म ही फलते-फूलते रहे हैं, और यह एक प्रसिद्ध शिव तीर्थ है। यह जगह जंगल में काफी भीतर है हालाँकि जहाँ लेखक और उसकी यूनिट अभी थी वहाँ से इसकी दूरी सिर्फ नौ किलोमीटर ही थी। अब तक जिलाधिकारी ने उनाकोटी के बारे में इतना सब कुछ बता दिया था कि लेखक के पर इस जगह का रंग पूरी तरह से चढ़ चुका था। टीलियामुरा से मनु तक की यात्रा कर लेने के बाद तो लेखक अपने आप को कुछ ज्यादा ही साहसी महसूस करने लगा था। क्योंकि टीलियामुरा से मनु तक की यात्रा बहुत खतरनाक थी और लेखक उसे पार कर चूका था तो उसे लगता है कि वह टीलियामुरा से मनु तक की यात्रा को कर सकता है तो उनाकोटी पहुँचाने के लिए जंगल पार करना कौन सी बड़ी बात है। लेखक ने जिलाधिकारी से कहा कि वह निश्चय ही वहाँ जाना चाहेगा और यदि संभव हुआ तो उसे उस जगह की शूटिंग करना भी अच्छा लगेगा।
प्रश्न 8 – स्थानीय आदिवासियों के अनुसार उनाकोटी में बनी इन आधार-मूर्तियों का निर्माण किसने किया है? कथानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उनाकोटी में बनी इन आधार-मूर्तियों का निर्माण किसने किया है यह अभी तक पता नहीं किया जा सका हैं। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह माता पार्वती का भक्त था और भगवान् शिव-माता पार्वती के साथ उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। परन्तु भगवान शिव उसे अपने साथ नहीं लेना चाहते थे। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले चलने को तैयार तो हो गए लेकिन इसके लिए उन्होंने कल्लू के सामने एक शर्त रखी और वह शर्त थी कि उसे एक रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू अपनी धुन का पक्का व्यक्ति था इसलिए वह इस काम में जुट गया। लेकिन जब सुबह हुई तो कल्लू के द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ एक करोड़ से एक कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े भगवान् शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू कुम्हार को उसके द्वारा बनाई गई मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और खुद माता पार्वती के साथ कैलाश की ओर चलते बने।
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Long Question Answers (60 से 70 शब्दों में)
प्रश्न 1 – ‘ध्वनि में यह अद्भुत गुण है कि एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे समय-संदर्भ में पहुँचा सकती है।’ पंक्ति से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर – लेखक यहाँ ध्वनि के बारे में बात करता हुआ कहता है कि ध्वनि में एक अनोखा गुण यह होता है कि वह एक क्षण में ही वह आपको किसी दूसरे ही समय-संदर्भ में पहुँचा सकती है। लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि लेखक यहाँ हमें यह समझाना चाहता है कि जब हम कभी कोई काम कर रहे होते है और अचानक ही कोई तेज आवाज हो तो हम हड़बड़ा जाते है और कुछ समय के लिए कभी-कभी तो भूल भी जाते हैं कि हम क्या काम कर रहे थे। लेखक किसी एक दिन की सुबह का वर्णन करता हुआ कहता है कि उस दिन अभी लेखक की वह शांतिपूर्ण दिनचर्या शुरू ही हुई थी कि उसमें एक बाधा पड़ गई। उस सुबह लेखक एक ऐसी कान को फाड़ कर रख देने वाली तेज आवाज के कारण जागा और जब बाहर देखा तो पाया कि वह आवाज बिजली कड़कने और बादल गरजने की थी। इस तांडव के गर्जन-तर्जन ने लेखक को तीन साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम की याद दिला दी थी।
प्रश्न 2 – प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बिजलियों की चमक और बादलों की गरज को किस रूप में दर्शाया है?
उत्तर – लेखक किसी एक दिन की सुबह का वर्णन करता हुआ कहता है कि उस दिन अभी लेखक की वह शांतिपूर्ण दिनचर्या शुरू ही हुई थी कि उसमें एक बाधा पड़ गई। उस सुबह लेखक एक ऐसी कान को फाड़ कर रख देने वाली तेज आवाज के कारण जागा, यह आवाज तोप दगने और बम फटने जैसी लग रही थी, उस आवाज को सुनकर लेखक को लगा कि गोया जार्ज डब्लू. बुश और सद्दाम हुसैन की मेहरबानी से तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हो चुकी हो। लेखक ने खुदा का शुक्रियादा किया क्योंकि ऐसी कोई बात नहीं थी। दरअसल यह तो सिर्फ स्वर्ग में चल रहा देवताओं का कोई खेल था, जिसकी झलक बिजलियों की चमक और बादलों की गरज के रूप में देखने को मिल रही थी। लेखक ने खिड़की के बाहर झाँका। लेखक ने देखा कि आकाश बादलों से भरा था जिसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सेनापतियों द्वारा छोड़ दिए गए सैनिक आतंक में एक-दूसरे से टकरा रहे हो। पागलों की तरह आकाश को भेद-भेद देने वाली बिजली के अलावा जाड़े की उस बिल्कुल सुबह का ठंडा भूरा आकाश था, जो प्रकृति के तांडव को एक पृष्ठभूमि तैयार कर के दे रहा था।
प्रश्न 3 – प्रस्तुत पाठ में लेखक ने त्रिपुरा के बारे में क्या बताया है?
उत्तर – त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। चैंतीस प्रतिशत से ज्यादा की इसकी जनसंख्या वृद्धि दर दूसरे राज्यों की अपेक्षा भी खासी ऊँची है। यह तीन तरफ से तो बांग्लादेश से घिरा हुआ है और बाकि बचा शेष भाग भारत के साथ ऐसे स्थान से जुड़ा हुआ है जहाँ पर हर किसी का पहुँचना आसान नहीं है। यह स्थान भारत के उत्तर-पूर्वी सीमा से सटे मिज़ोरम और असम के द्वारा बनता है। सोनामुरा, बेलोनिया, सबरूम और कैलासशहर जैसे त्रिपुरा के ज्यादातर महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश के साथ इसकी सीमा के करीब ही हैं। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला भी सीमा चैकी से महज दो किलोमीटर की दुरी पर है। बांग्लादेश से लोगों का बिना अनुमति के त्रिपुरा में आना और यहीं बस जाना ज़बरदस्त है और इसे यहाँ सामाजिक रूप से स्वीकार भी किया गया है। यहाँ की असाधारण जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण लेखक इसी को मानता है। असम और पश्चिम बंगाल से भी लोगों का त्रिपुरा प्रवास यहाँ होता ही है। कुल मिलाकर बाहरी लोगों की इस तरह भारी संख्या में आना और यही बस जाने के कारण जनसंख्या संतुलन को यहाँ के स्थानीय आदि-वासियों के खिलाफ ला खड़ा किया है। यह कारण त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष की मुख्य वजह भी है।
प्रश्न 4 – मंजु ऋषिदास के बारे में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – टीलियामुरा शहर के वार्ड नं. 3 में लेखक की मुलाकात एक और गायक से हुई। वह गायक थी मंजु ऋषिदास। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। लेकिन जूते बनाने के अलावा इस समुदाय के कुछ लोग थाप वाले वाद्यों जैसे तबला और ढोल के निर्माण और उनकी मरम्मत के काम में भी बहुत ज्यादा अच्छे थे। मंजु ऋषिदास एक बहुत ही आकर्षक महिला थीं और वह एक रेडियो कलाकार भी थी। रेडियो कलाकार होने के अलावा वे नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। मंजु ऋषिदास भले ही पढ़ी-लिखी नहीं थीं। लेकिन वे अपने वार्ड की सबसे बड़ी आवश्यकता यानी साफ पीने के पानी के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। नगर पंचायत को वे अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने और इसकी मुख्य गलियों में ईंटें बिछाने के लिए पैसों का इंतज़ाम कर चुकी थीं। मंजु ऋषिदास ने भी लेखक और उनकी यूनिट के लिए दो गीत गाए और इसमें उनके पति ने शामिल होने की कोशिश की क्योंकि लेखक उस समय उनके गाने की शूटिंग भी कर रहा था। गाना गाने के बाद वे तुरंत एक गृहिणी की भूमिका में भी आ गईं और बिना किसी हिचक के उन सब के लिए चाय बनाकर ले आईं। लेखक इस बात को लेकर पूरे विश्वास से कह सकता है कि किसी उत्तर भारतीय गाँव में ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि जिस समय की बात लेखक कर रहा है उस समय स्वच्छता के नाम पर एक नए किस्म की अछूत-प्रथा उत्तर भारतीय के प्रत्येक गाँव में अब भी चल रही थी।
प्रश्न 5 – मनु तक की यात्रा के दौरान लेखक डर के साय में क्यों था?
उत्तर – राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर अगले 83 किलोमीटर यानी मनु तक की यात्रा के दौरान ट्रैफिक सी.आर.पी.एफ. की सुरक्षा में यात्रियों के दलों की शक्ल में चलता था। मुख्य सचिव और आई.जी., सी.आर.पी.एफ. से लेखक ने निवेदन किया था कि वे लेखक और लेखक की पूरी यूनिट को घेरेबंदी में चलने वाले यात्रियों के दलों के आगे-आगे चलने दें। इसके लिए मुख्य सचिव और आई.जी., सी.आर.पी.एफ. पहले तो तैयार नहीं हुए परन्तु फिर थोड़ी ना-नुकुर करने के बाद वे इसके लिए तैयार हो गए लेकिन उन्होंने लेखक के सामने एक शर्त रखी। वह शर्त थी कि लेखक और लेखक के कैमरामैन को सी.आर.पी.एफ. की हथियारों से भरी गाड़ी में चलना होगा और यह काम लेखक और लेखक के कैमरामैन को अपने जोखिम पर करना होगा। यात्रियों का समूह दिन में लगभग 11 बजे के आसपास चलना शुरू हुआ। लेखक कहता है कि वह अपनी शूटिंग के काम में ही इतना व्यस्त था कि उस समय तक डर के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं थी जब तक लेखक को सुरक्षा प्रदान कर रहे सी.आर.पी.एफ. कर्मी ने साथ की निचली पहाड़ियों पर किसी इरादे से रखे दो पत्थरों की तरफ लेखक का ध्यान आकर्षित हुआ। जब लेखक ने उन दो पत्थरों के बारे में पूछा तो सी.आर.पी.एफ. कर्मी ने लेखक को बताया कि दो दिन पहले ही उनके एक जवान को यहीं विद्रोहियों द्वारा मार डाला गया था। यह सुन कर लेखक कहता है कि डर के कारण लेखक की रीढ़ में एक झुरझुरी सी दौड़ गई थी। मनु तक की अपनी शेष यात्रा में लेखक अपने दिल से यह खयाल निकाल नहीं पाया कि उनको घेरे हुए सुंदर और पूरी तरह से शांतिपूर्ण लगने वाले जंगलों में किसी जगह बंदूकें लिए विद्रोही भी छिपे हो सकते हैं। अब लेखक को डर लगने लगा था।
प्रश्न 6 – लेखक ने प्रस्तुत पाठ में उनाकोटी के बारे में क्या बताया है?
उत्तर – लेखक हमें उनाकोटी के बारे में बताता हुआ कहता है कि उनाकोटी का मतलब है एक कोटि, यानी एक करोड़ से एक कम। एक काल्पनिक कथा के अनुसार उनाकोटी में शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। विद्वानों का मानना है कि यह जगह दस वर्ग किलोमीटर से कुछ ज्यादा इलाके में फैली है और पाल शासन के दौरान नवीं से बारहवीं सदी तक के तीन सौ वर्षों में यहाँ चहल-पहल रहा करती थी। यहाँ पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार-मूर्तियाँ बनाई गई हैं। एक बहुत विशाल चट्टान ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के उतरने की पौराणिक कथा को चित्रित करती है। गंगा के पृथ्वी पर उतरने के धक्के से कहीं पृथ्वी ध्ँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसी वजह से भगवान् शिव को इसके लिए तैयार किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद इसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। यहाँ पर भगवान शिव का चेहरा एक पूरी चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हुई हैं। भारत में शिव की यह सबसे बड़ी आधार-मूर्ति है। यहाँ पूरे साल बहने वाला एक झरना पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है। यहाँ हर कदम पर आपको किसी न किसी देवी-देवता की मूर्ति जरूर मिल जाएगी।
प्रश्न 7 – स्थानीय आदिवासियों के अनुसार उनाकोटी में बनी इन आधार-मूर्तियों का निर्माण किसने किया है? कथानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उनाकोटी में बनी इन आधार-मूर्तियों का निर्माण किसने किया है यह अभी तक पता नहीं किया जा सका हैं। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह माता पार्वती का भक्त था और भगवान् शिव-माता पार्वती के साथ उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। परन्तु भगवान शिव उसे अपने साथ नहीं लेना चाहते थे। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले चलने को तैयार तो हो गए लेकिन इसके लिए उन्होंने कल्लू के सामने एक शर्त रखी और वह शर्त थी कि उसे एक रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू अपनी धुन का पक्का व्यक्ति था इसलिए वह इस काम में जुट गया। लेकिन जब सुबह हुई तो कल्लू के द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ एक करोड़ से एक कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े भगवान् शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू कुम्हार को उसके द्वारा बनाई गई मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और खुद माता पार्वती के साथ कैलाश की ओर चलते बने।
प्रश्न 8 – लेखक ने प्रस्तुत पाठ में उनाकोटी के बारे में क्या बताया है?
उत्तर – लेखक हमें उनाकोटी के बारे में बताता हुआ कहता है कि उनाकोटी का मतलब है एक कोटि, यानी एक करोड़ से एक कम। एक काल्पनिक कथा के अनुसार उनाकोटी में शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। विद्वानों का मानना है कि यह जगह दस वर्ग किलोमीटर से कुछ ज्यादा इलाके में फैली है और पाल शासन के दौरान नवीं से बारहवीं सदी तक के तीन सौ वर्षों में यहाँ चहल-पहल रहा करती थी। यहाँ पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार-मूर्तियाँ बनाई गई हैं। एक बहुत विशाल चट्टान ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के उतरने की पौराणिक कथा को चित्रित करती है। गंगा के पृथ्वी पर उतरने के धक्के से कहीं पृथ्वी ध्ँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसी वजह से भगवान् शिव को इसके लिए तैयार किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद इसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। यहाँ पर भगवान शिव का चेहरा एक पूरी चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हुई हैं। भारत में शिव की यह सबसे बड़ी आधार-मूर्ति है। यहाँ पूरे साल बहने वाला एक झरना पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है। यहाँ हर कदम पर आपको किसी न किसी देवी-देवता की मूर्ति जरूर मिल जाएगी।
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Extra Question Answers
प्रश्न 1 – ‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर – उनाकोटी का अर्थ है एक कोटि, यानी एक करोड़ से एक कम। एक काल्पनिक कथा के अनुसार उनाकोटी में शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। विद्वानों का मानना है कि यह जगह दस वर्ग किलोमीटर से कुछ ज्यादा इलाके में फैली है और पाल शासन के दौरान नवीं से बारहवीं सदी तक के तीन सौ वर्षों में यहाँ चहल-पहल रहा करती थी। परन्तु यह जगह अब जंगल से घिर गई है और विद्रोहियों के हमलों के कारण अब यहाँ कुछ ज्यादा चहल-पहल नहीं होती। यहाँ पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार-मूर्तियाँ बनाई गई हैं। एक बहुत विशाल चट्टान ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के उतरने की पौराणिक कथा को चित्रित करती है। यहाँ पर भगवान शिव का चेहरा एक पूरी चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हुई हैं। भारत में शिव की यह सबसे बड़ी आधार-मूर्ति है। यहाँ पूरे साल बहने वाला एक झरना पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है। यह पूरा इलाका ही प्रत्येक शब्द के अनुसार ही देवियों-देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है। यहाँ हर कदम पर आपको किसी न किसी देवी-देवता की मूर्ति जरूर मिल जाएगी। उनाकोटी भारत का सबसे बड़ा तो नहीं परन्तु सबसे बड़े भगवान् शिव के तीर्थों में से एक जरूर है। संसार के इस हिस्से में युगों से केवल स्थानीय आदिवासी धर्म ही फलते-फूलते रहे हैं, और यह एक प्रसिद्ध शिव तीर्थ है। बहुत अधिक मूर्तियाँ एक ही स्थान पर होने के कारण यह स्थान प्रसिद्ध है।
प्रश्न 2 – पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – उनाकोटी में पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार मूर्तियाँ बनाई गई हैं। एक बहुत विशाल चट्टान ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के उतरने की पौराणिक कथा को चित्रित करती है। गंगा के पृथ्वी पर उतरने के धक्के से कहीं पृथ्वी ध्ँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसी वजह से भगवान शिव को इसके लिए तैयार किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद इसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। लेखक कहता है कि यहाँ पर भगवान शिव का चेहरा एक पूरी चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हुई हैं। भारत में शिव की यह सबसे बड़ी आधार-मूर्ति है। लेखक कहता है कि यहाँ पूरे साल बहने वाला एक झरना पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है।
प्रश्न 3 – कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?
उत्तर – उनाकोटी में बनी इन आधार-मूर्तियों का निर्माण किसने किया है यह अभी तक पता नहीं किया जा सका हैं। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह माता पार्वती का भक्त था और भगवान् शिव-माता पार्वती के साथ उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। परन्तु भगवान शिव उसे अपने साथ नहीं लेना चाहते थे। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले चलने को तैयार तो हो गए लेकिन इसके लिए उन्होंने कल्लू के सामने एक शर्त रखी और वह शर्त थी कि उसे एक रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू अपनी धुन का पक्का व्यक्ति था इसलिए वह इस काम में जुट गया। लेकिन जब सुबह हुई तो कल्लू के द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ एक करोड़ से एक कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े भगवान् शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू कुम्हार को उसके द्वारा बनाई गई मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और खुद माता पार्वती के साथ कैलाश की ओर चलते बने। इसी मान्यता के कारण कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया।
प्रश्न 4 – मेरी रीढ़ में एक झुरझरी-सी दौड़ गई’-लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?
उत्तर – लेखक राजमार्ग संख्या 44 पर टीलियामुरा से 83 किलोमीटर आगे मनु नामक स्थान पर शूटिंग के लिए जा रहा था। इस यात्रा में वह सी.आर.पी.एफ. की सुरक्षा में चल रहा था। लेखक और उसका कैमरा मैन हथियार बंद गाड़ी में चल रहे थे। लेखक अपनी शूटिंग के काम में ही इतना व्यस्त था कि उस समय तक डर के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं थी जब तक लेखक को सुरक्षा प्रदान कर रहे सी.आर.पी.एफ. कर्मी ने साथ की निचली पहाड़ियों पर किसी इरादे से रखे दो पत्थरों की तरफ लेखक का ध्यान आकर्षित नहीं हुआ। जब लेखक ने उन दो पत्थरों के बारे में पूछा तो सी.आर.पी.एफ. कर्मी ने लेखक को बताया कि दो दिन पहले ही उनके एक जवान को यहीं विद्रोहियों द्वारा मार डाला गया था। यह सुन कर लेखक कहता है कि डर के कारण लेखक की रीढ़ में एक झुरझुरी सी दौड़ गई थी। मनु तक की अपनी शेष यात्रा में लेखक अपने दिल से यह खयाल निकाल नहीं पाया कि उनको घेरे हुए सुंदर और पूरी तरह से शांतिपूर्ण लगने वाले जंगलों में किसी जगह बंदूकें लिए विद्रोही भी छिपे हो सकते हैं। अब लेखक को डर लगने लगा था।
प्रश्न 5 – त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?
उत्तर – बांग्लादेश से लोगों का बिना अनुमति के त्रिपुरा में आना और यहीं बस जाना जबरदस्त है और इसे यहाँ सामाजिक रूप से स्वीकार भी किया गया है। यहाँ की असाधारण जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण लेखक इसी को मानता है। असम और पश्चिम बंगाल से भी लोगों का त्रिपुरा प्रवास यहाँ होता ही है। कुल मिलाकर बाहरी लोगों की इस तरह भारी संख्या में आना और यही बस जाने के कारण जनसंख्या संतुलन को यहाँ के स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ ला खड़ा किया है। त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने और यहीं बस जाने से कुछ समस्याएँ तो पैदा हुई हैं लेकिन इसके कारण यह राज्य विभिन्न धर्मों वाले समाज का उदाहरण भी बना है। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिध्त्वि मौजूद है। इस प्रकार यहाँ अनेक धर्मों का समावेश हो गया है। तब से यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया है।
प्रश्न 6 – टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?
उत्तर – टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय जिन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ उनमें एक हैं- हेमंत कुमार जमातिया, जो त्रिपुरा के प्रसिद्ध लोक गायक हैं। जमातिया 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत किए जा चुके हैं। अपनी युवावस्था में वे पीपुल्स लिबरेशन आर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता थे, पर अब वे चुनाव लड़ने के बाद जिला परिषद के सदस्य बन गए हैं। लेखक की मुलाकात दूसरी प्रमुख हस्ती मंजु ऋषिदास से हुई, जो आकर्षक महिला थी। वे रेडियो कलाकार भी थीं। रेडियो कलाकार होने के अलावा वे नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। लेखक ने उनके गाए दो गानों की शूटिंग की। गीत के तुरंत बाद मंजु ने एक कुशल गृहिणी के रूप में चाय बनाकर पिलाई।
प्रश्न 7 – कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?
उत्तर – जब लेखक और वह जिलाधिकारी चाय पी रहे थे उस दौरान उस जिलाधिकारी ने लेखक को बताया कि टी.पी.एस. (टरू पोटेटो सीड्स) की खेती को त्रिपुरा में, खासकर पर उत्तरी जिले में किस तरह से सफलता मिली है। आलू की बुआई के लिए आमतौर पर परंपरागत आलू के बीजों की शुरुआत दो मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर पड़ती है। इसके बरक्स टी.पी.एस की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है। त्रिपुरा से टी.पी.एस. को अब न सिर्फ असम, मिज़ोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को ही भेजा जाता है, बल्कि अब तो विदेशो में जैसे बांग्लादेश, मलेशिया और विएतनाम को भी भेजा जा रहा है।
प्रश्न 8 – त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?
उत्तर – त्रिपुरा के लघु उद्योगों में लोकप्रिय घरेलू गतिविधियों में से एक गति-विधि अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना है। अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करने के बाद अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। इनका प्रयोग अगरबत्तियाँ बनाने में किया जाता है। इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है ताकि अगरबत्तियाँ तैयार की जा सकें। त्रिपुरा में बाँस बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इस बाँस से टोकरियाँ सजावटी वस्तुएँ आदि तैयार की जाती हैं।