किसी भी उपकरण का मैंटेनैंस बहुत आवश्यक है। इसमें अलग अलग मैंटेनैंस के प्रकार होते है। यहाँ हम Preventive Maintenance In Hindi के इस आर्टिकल में एक प्रकार का वर्णन है। जिस प्रकार को प्रिवेंटिव मैंटेनैंस कहते है। यदि मैंटेनैंस के प्रकार जानना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे।
Preventive Maintenance In Hindi
What is Preventive Maintenance ?
किसी भी उपकरण को चालू स्थिति में विफलता (Break Down) से बचाने के लिए, उसकी कार्यक्षमता बनाय रखने के लिए जो नियमित मेंटेनेंस किया जाता है,उसे प्रिवेंटिव मेंटेनेंस कहते है।
याने संभावित विफलता को दूर करने के लिए नियमित रूप से किया जाने वाले रखरखाव को निवारक रखरखाव (प्रिवेंटिव मेंटेनेंस) कहते है।
इस प्रकार के मेंटेनेंस में उपकरण चालु स्थिति में होता है। पर उपकरण की महत्वता और उसकी कैपेसिटी देखी जाती है। उपकरण बंध होने से प्रोडक्शन पे क्या असर पड़ता है, उसे ध्यान में रखकर अनुसूची तैयार की जाती है। हरएक उपकरण की अनुसूची (Schedule) होता है। उसी के आधार पे उसका मेंटेनेंस किया जाता है।
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Types of Preventive maintenance
प्रिवेंटिव मेंटेनेंस दो प्रकार के होते है।
1 – समय आधारित प्रिवेंटिव मैंटेनैंस
2 – उपयोग आधारित प्रिवेंटिव मैंटेनैंस
1 – समय आधारित निवारक रखरखाव –
इस प्रकार के रखरखाव में समय पहले से निश्चित होता है। उसी समय पे उसका मेंटेनेंस होता है। इसमें उपकरण की महत्वता देख के, उत्पादन पे होने वाली असर को देख के उपकरण का कार्यक्रम बना दिया जाता है।
इस प्रकार के मैंटेनैंस में कही ऐसी समस्याएं मिलती है, जिसको समय रहते ठीक न करवाए तो उत्त्पादन और गुणवत्ता पे असर होता है।
उदहारण के तोर पे …….
किसी पंप या मोटर का schedule पहले से तैयार होता है। किसी को एक महीना, किसी का दो और किसी का तीन महीने में मेंटेनेंस किया जाता है।
वैसे ही बॉयलर का मैंटेनैंस, ट्रांसफार्मर का मैंटेनैंस, पैनल का मैंटेनैंस साल में एक बार किया जाता है। और इसका भी समय त्यय होता है। ज्यादातर फैक्टरी में एनुअल शट डाउन में ऐसे उपकरण का रखरखाव किया जाता है।
Preventive Maintenance Meaning in Hindi – निवारक रखरखाव
2 – उपयोग आधारित प्रिवेंटिव मेंटेनेंस
इस प्रकार के मेंटेनेंस में समय निश्चित नहीं होता। पर उपकरण कितने घंटे तक चला है। कितने किलो मीटर चला है। उससे कितना काम या उत्त्पादन लिया है, इसके आधार पे उसका रखरखाव होता है। जिसको उपयोग आधारित प्रिवेंटिव मैंटेनैंस कहते है।
इस प्रकार के मैंटेनैंस में यदि कोई समस्या पायी जाये तो उसे तो ठीक किया जाता है। पर त्यय की गयी रुपरेखा के मुताबिक आउटपुट मिलने के बाद उसकी इन्वेंटरी बदल बदलनी पड़ती है। जैसे इंजन का आयल बदलना पड़ता है। ग्रीसिंग दुबारा करना पड़ता है। फिल्टर्स बदल ने पड़ते है।
उदहारण के तोर पे…….
हम कम्प्रेसर के प्रिवेंटिव मैंटेनैंस की बात करे तो, कम्प्रेसर कंटिन्यू चलने वाला उपकरण है। पर उसमे जो आयल रहता है,आयल फ़िल्टर रहता है,एयर फ़िल्टर रहता, फ्यूल फ़िल्टर रहता है,उसे 4 या 5 हज़ार घंटे के बाद बदलना पड़ता है।
वैसे ही जनरेटर है जो ज्यादातर फैक्ट्री में बिजली के ऑप्शन में स्पेर रखा जाता है।
जब पावर फ़ैल होता है, तब उसका इस्तेमाल होता है। ऐसे में उसमे रनिंग ऑवर मीटर रहता है। करीब 300 घंटे के बाद उसका प्रिवेंटिव मैंटेनैंस किया जाता है।
ठीक वैसे ही मोटर साइकिल और कार में है। किलोमीटर के आधार पे उसका मेंटेनेंस किया जाता है।
इस प्रकार के मैंटेनैंस से मशीन का बीचमे रुक जाना या ब्रेक डाउन हो जाना लगभग कम हो जाता है।
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Preventive maintenance planning- Software
प्रिवेंटिव मैंटेनैंस में प्लानिंग बहुत महत्व का अंग है। बिना योजना के PM लागु करना योग्य नहीं है। क्युकी प्लांट में बहुत सारे उपकरण होते है। उनका चेक पॉइंट और चेकिंग पीरियड भी अलग होता है। साथ में P.M करने के बाद सब रिकॉर्ड भी रखना है। और नोटिफिकेशन भी चाहिए।
प्रिवेंटिव मैंटेनैंस के ये सब काम मैन्युअल में नहीं हो सकते। यदि करना चाहे तो इसमें गुणवत्ता वाला काम नहीं हो सकता। पर आजकल रखरखाव के कार्य के लिए मार्किट में बहुत सारे सॉफ्टवेर उपलब्ध है।
जिसमे प्लांट के सभी उपकरण के लिए प्लानिंग कर सकते है। नियत समय पे नोटिफिकेशन भी मिल सकता है और रेकॉर्ड भी रख सकते है। और प्रिवेंटिव मैंटेनैंस के कार्य को बेहतरीन तरीके से न्याय दे सकते है। ज्यादातर संस्था एवं आर्गेनाइजेशन PM प्लानिंग सॉफ्टवेर का इस्तेमाल करते है।
Advantage of Preventive Maintenance
- बड़े ब्रेकडाउन से बच सकते है – यदि किसी उपकरण में कोई खामी दिखाई देती है। या खामी होने जा रही है। ऐसे में प्रिवेंटिव मैंटेनैंस ही एक कारगर हथियार साबित हो सकता है। जो मशीन में ब्रेकडाउन होने से पहले उसे क्लियर कर देता है।
- योजना से काम होता है – किसी भी उपकरण के schedule के हिसाब से मैंटेनैंस होता है। उपकरण का पूरा ट्रैक रेकॉर्ड हमारे पास रहता है। कितना खर्चा आ सकता है इसका अंदाजा भी हो जाता है, जिससे बजट बनाने में भी मदद मिलती है।
- सुरक्षा से काम होता है – इस प्रकार के मैंटेनैंस का प्लानिंग पहले से होने के कारण तैयारी पूरी होती है। और काम करने के लिए समय भी पर्याप्त होने के कारण पूरी सुरक्षा से काम कर सकते है।
- कार्यक्षमता बढ़ जाती है – किसी भी उपकरण का मैंटेनैंस बहुत जरुरी है। नियमित मेंटेनेंस करने के कारण उपकरण के लोसिस कम होते है। जिसके कारन कार्यक्षमता बनी रहती है।
- पैसो की बचत होती है – प्रिवेंटिव मैंटेनैंस के लिए किसी को ओवर टाइम कराने की जरुरत नहीं होती, क्युकी ये प्लानिंग से होता है। यदि मशीन का ब्रेक डाउन होता है, तो इमर्जेन्सी में पार्ट्स की किम्मत भी ज्यादा वसूली जाएगी इस तरह से पैसे भी बच सकते है। और एनर्जी सेविंग भी होता है।
- उत्त्पादन लॉस नहीं होता – P.M प्लानिंग के तहत मशीन पे काम करने की परमिशन ली हुई है। प्रोडक्शन टीम भी योजना बध्ध तरीके से काम करती है। उत्त्पादन में किसी भी तरह की क्षति के बिना मेंटेनेंस का काम पूर्ण किया जाता है।
Disadvantage of Preventive Maintenance
1 – मैन पावर ब्लॉक रहता है – प्रिवेंटिव मैंटेनैंस में हररोज का प्लानिंग होने की बजह से मेन पावर ब्लॉक रहता है।
2 – ओवर कॉन्फिडन्स हो जाते है – Schedule के हिसाब से बार-बार रखरखाव का काम आता है। इसीलिए कही बार इतने ध्यान से काम नहीं किया जाता जितना होना चाहिए। इसका नतीजा ब्रेकडाउन के रुप में भुगतना पड़ सकता है।
3 – ज्यादा फ्रीक्वेंसी से नुकशान होता है – प्रिवेंटिव मैंटेनैंस में उपकरण मैंटेनैंस की फ्रीक्वेंसी ज्यादा है तो ये नुकशान कारक है। जिसे मेन पावर भी ज्यादा लगेगा और P.M की कॉस्टिंग भी बढ़ जाएगी।
मेंटेनेंस के प्रकार – Types of Maintenance
बैटरी के प्रकार उपयोग एवं मेंटेनेंस
Preventive Maintenance in Hindi के इस आर्टिकल से पता चलता है, की उपकरण का रखरखाव कितना जरुरी है। हमारे घर के उपकरण हो या किसी आर्गेनाइजेशन समयांतर पे रखरखाव जरुर होना चाहिए।